जयपुर। राजस्थान की सियासी संकट सुप्रीम कोर्ट के बाद अब राष्ट्रपति तक पहुंच गया है। राजस्थान कांग्रेस विधायक दल ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। राजस्थान कांग्रेस विधायक दल एवं संबद्ध सदस्यों की तरफ से राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई राज्य सरकारों को हॉर्स ट्रेडिंग व अन्य भ्रष्ट आचरण के माध्यम से अपदस्थ करने के भाजपा और इसके नेताओं के कुत्सित प्रयास न सिर्फ देश के लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान की धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं। अनेक प्रांतों के राज्यपाल अपने पद की गरिमा की चिंता किए बिना सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर संविधान की घोर अवहेलना कर रहे हैं।
कांग्रेस ने राष्ट्रपति के नाम लिखे अपने पत्र में कहा है कि इन परिस्थितियों से राजस्थान जैसे शांतिप्रिय राज्य में पैसों के माध्यम से खरीद-फरोख्त के जो समाचार पूरे देश की जनता के सामने आए हैं, वे स्तब्धकारी हैं। केंद्रीय मंत्रियों के खरीद-फरोख्त और भ्रष्ट आचरण के प्रथम दृष्ठि से प्रमाण पाए जाने के बावजूद भी उन्हें मंत्रिमंडल से नहीं हटाया जाना लोकतंत्र के माथे पर कलंक के समान है। राजनीतिक बदले की भावना से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकारों और जनप्रतिनिधियों को कमजोर करने और डराने के लिए ईडी, इनकम टैक्स व सीबीआई का जो दुरुपयोग किया जा रहा है, वह घोर निंदनीय है।
राजस्थान कांग्रेस ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि आज पूरा देश कोरोना की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में हम चाहते हैं विधानसभा का सत्र बुलाकर कोरोना सहित प्रदेश की विभिन्न समस्याओं के बारे में विधानसभा में सभी दलों से चर्चा करके उचित फैसले कर सकें जिससे जनता को और अधिक राहत मिल सके, लेकिन राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने दिया जा रहा है। सब तरफ से हमारे संवैधानिक अधिकारों व कोशिशों को विफल किया जा रहा है। अत: हमारे पर इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचता कि हम इस संबंध में सारी स्थितियों को आपके समक्ष रखें। वैसे तो आपको स्वयं जानकारी होगी कि राजस्थान में क्या चल रहा है। कांग्रेस ने राष्ट्रपति को भेजे अपने ज्ञापन में कहा है कि राजस्थान से संबंधित सारी जानकारी लेकर आप हस्तक्षेप करें और राज्य सरकार को विधान सभा का सत्र आहूत करने की अनुमति दिलाएं।
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