जयपुर: राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया। यहां विधानसभा की 200 सीटें हैं लेकिन मतदान केवल 199 सीटों पर ही हुआ। राज्य में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में भी हो चुका है। 199 सीटों पर मतदान एक साथ हो जाता है, लेकिन किसी ना किसी एक सीट पर चुनाव स्थगित करना पड़ता है। इस अजीब संयोग की वजह भी हर बार एक ही रही है। पिछले तीन बार से लगातार एक सीट पर एक उम्मीदवार की मृत्यु हो जाना।
आपको बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 52 की उप-धारा (1) (सी) के प्रावधानों के तहत मतदान होने से पहले अगर किसी भी सीट पर उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है तो चुनाव आयोग को वहां बाद में उपचुनाव कराना पड़ेगा। इसके लिए चुनाव आयोग को धारा 52 की उप-धारा (2) के तहत शक्तियां दी गई हैं। इसके तहत चुनाव आयोग कुछ समय बाद उस सीट पर उपचुनाव कराता है।
इस बार क्या प्रकरण हुआ?
दरअसल, इस वर्ष 14 नवंबर तक सब ठीक था कि अचानक से खबर आती है कि 14 नवंबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया। वह दिल्ली के एम्स अस्पताल में 12 नवंबर से भर्ती थे। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। गुरमीत श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक और प्रत्याशी थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया कि 25 नवंबर को श्रीकरणपुर सीट को छोड़कर अन्य सीटों पर मतदान होगा। यहाँ बाद में उपचुनाव कराया जाएगा।
2018 में भी 199 सीटों पर हुआ था मतदान
वहीं इससे पहले साल 2018 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 7 दिसंबर 2018 को होना था। इस बार भी 200 सीटों पर चुनाव तय था लेकिन 29 नवंबर को अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इसके बाद के बार फिर से चुनाव आयोग ने इस सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया। इसके बाद 28 जनवरी 2019 को यहां उपचुनाव कराया गया, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार शफिया जुबैर ने 12 हजार से भी ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।
2013 से शुरू हुआ है यह अजीब संयोग
इसके अलावा 2013 के विधानसभा चुनावों में भी 199 सीटों पर मतदान कराया गया था। यहां चुरू विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार जगदीश मेघवाल की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार आरएस राठौड़ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मौजूदा विधायक हाजी मकबूल मंडेलिया को 24,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था।