जयपुर: राजस्थान की राजनीतिक कहानी पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगली भूमिका को लेकर लगातार अटकलों और सस्पेंस के बीच काफी दिलचस्प हो गई है। वे मुख्य भूमिकाओं में वापस आएंगे या नहीं? पिछले कई महीनों से यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में 199 सीटों पर आज वोटिंग हो रही है लेकिन इन दोनों नेताओं की अगली भूमिका पर राजनीतिक फुसफुसाहट बनी हुई है। इस बार के चुनाव में सबसे मजेदार बात ये है कि दोनों ही पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने अपने सीएम फेस का खुलासा नहीं किया है। 3 दिसंबर को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि कौन सी पार्टी किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपती है।
क्या पायलट के CM बनने का समय आ गया?
गुर्जर समुदाय से आने वाले पायलट 2018 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद से ही पायलट और गहलोत में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई। पायलट मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को सीएम की कुर्सी सौंपी जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री पद दिया गया। सुलह समझौते के तहत पायलट को हाईकमान ने आखिरी के 1 साल सीएम बनाने का फैसला किया, लेकिन बगावत की वजह से यह संभव नहीं हो पाया।
गहलोत कर चुके हैं ये टिप्पणी
जुलाई 2020 में गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। यह अलग बात है कि इस विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने कहा कि ‘सबकुछ ठीक’ हो गया है और दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि अतीत की बातों को भूल जाना चाहिए। गुर्जर समाज का पूर्वी राजस्थान के जिलों में प्रभाव है जहां पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अधिकांश सीटें जीती थीं। कांग्रेस का सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं करना और साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कई बार यह कहना कि पद उन्हें छोड़ नहीं रहा है, ये दोनों बातों के चलते यह माना जा रहा है कि इस बार सचिन पायलट को वो लाभ नहीं मिल सकेगा, जैसा कि उन्हें 2018 में मिला था।
BJP ने भी घोषित नहीं किया सीएम उम्मीदवार
भाजपा ने भी इस चुनाव में किसी को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। खुद प्रधानमंत्री मोदी राज्य में अपने शुरुआती चुनावी भाषणों में कहा चुके हैं कि इस चुनाव में भाजपा का चेहरा 'कमल का फूल' है। मोदी ने अक्टूबर माह में चितौड़गढ़ जिले में हुई एक रैली में यह बात कही थी और उसमें वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं। राजे के समर्थक जबकि उन्हें इस दौड़ में सबसे आगे मानते हैं वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित ना करने को लेकर भाजपा पर निशाना साधती रही है तथा इसे राज्य में भाजपा की अंदरूनी खींचतान बताती रही है। हालांकि इस बारे में कुछ भी सार्वजनिक टिप्पणी करने से राजे बचती रही हैं।
क्या वसुंधरा वापस आएंगी या उन्हें अलग-थलग रखा जाएगा?
इस बार चुनाव प्रचार और कई सभाओं से भी वसुंधरा राजे को नदारद देखा गया है। उन्होंने बीजेपी के बड़े प्रदर्शनों से भी दूरी बना ली थी। एक ओर वसुंधरा ग्रुप के समर्थक उन्हें CM फेस घोषित करने की लगातार मांग कर रहे हैं तो, दूसरी ओर बीजेपी नेतृत्व बार-बार यही बात कह रहा है कि इस बार राजस्थान का विधानसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा। अब एक बार फिर चर्चा है कि क्या वसुंधरा वापस आएंगी या उन्हें अलग-थलग रखा जाएगा।
गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या पायलट को कमान?
पिछले कई महीनों से राजस्थान की राजनीति चर्चा में है और राजनीतिक हलकों में बड़ा सवाल उठाया जा रहा है कि कौन आगे बढ़कर नेतृत्व करेगा? गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या कोई और नया चेहरा सामने आएगा या फिर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को राज्य का नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। ये कुछ सवाल हैं जो वर्तमान में राजनीतिक गलियारों में गूंज रहे हैं। इस बार भी इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि राजे और पायलट चर्चा के बिंदु है। ढेर सारा ड्रामा, एक्शन, सरप्राइस, सस्पेंस, हमला और पलटवार अभी बाकी है।
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