जयपुर: इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले राज्य का सियासी ड्रामा और उठापटक रोचक बनी हुई है। उठापटक सत्तापक्ष और विपक्ष में कम बल्कि सत्ता में बैठी कांग्रेस में ज्यादा हो रहे हैं। सचिन पायलट और अशोक गहलोत की लड़ाई खुले मच पर आ चुकी है। दोनों गुट एक-दूसरे पर हमले के कोई मौके नहीं चूक रहे हैं। बयानबाजी और सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के खिलाफ अब आम बातें हो चुकी हैं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस आलाकमान को इसकी खबर नहीं है लेकिन वह खुद नहीं समझ पा रहा है कि करें तो करें क्या?
दिल्ली में मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई थी बैठक
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दिल्ली आवास पर एक बैठक भी हुई। इस बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने भाग लिया। खरगे ने दोनों नेताओं से अलग-अलग मुलाकातें भी कीं। इन बैठकों के बाद मीडिया के सामने दोनों नेताओं के साथ केसी वेणुगोपाल आए और कहा कि सभी मसले सुलझा लिए गए हैं।
इस दौरान गहलोत और पायलट भी उनके साथ ही थे, लेकिन उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। आलाकमान की तरफ से कहा तो गया कि सब कुछ ठीक हो गया है लेकिन सचिन पायलट के बयान और सोशल मीडिया पोस्ट इस बात की गवाही नहीं दे रहे हैं। वह अभी भी बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा कि मन में एक आस है, दिल में एक विश्वास है, बनाएंगे एक सशक्त राजस्थान, जन-जन का जब साथ है।
इस वीडियो की खास बात यह है कि इसमें कहीं भी कांग्रेस पार्टी का कोई अन्य नेता, पार्टी का चिन्ह और नाम दिखाई नहीं दे रहा है। माना जा रहा है कि पायलट आलाकमान की बैठक के बाद भी खुश नहीं हुए हैं और वह जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों कह रहे हैं कि बैठक के बाद पायलट के तेवर कुछ नरम पड़े हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि आलाकमान उन्हें जल्द ही संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देगा और चुनावों में भी उनकी सुनी जाएगी।