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मानवेंद्र सिंह की BJP में घर वापसी, PM मोदी की रैली से पहले ज्वाइन की पार्टी; रविंद्र सिंह भाटी की बढ़ी टेंशन

राजस्थान में तापमान के साथ ही चुनावी सरगर्मी भी बढ़ती जा रही है। मानवेंद्र सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद बाड़मेर में त्रिकोणीय मुकाबले में सियासी समीकरण बदलने से अपनी जीत को लेकर भाजपा आश्वस्त है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Apr 12, 2024 14:07 IST, Updated : Apr 12, 2024 14:07 IST
manvendra singh ravindra singh bhati- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO मानवेंद्र सिंह और रविंद्र सिंह भाटी

पूर्व सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह के बेटे कर्नल (सेवानिवृत्त) मानवेंद्र सिंह 6 साल के अंतराल के बाद आज फिर से पार्टी में शामिल हुए। आज बाड़मेर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली भी है और उनकी रैली से पहले ही मानवेंद्र सिंह दोबारा ने दोबारा भाजपा में एंट्री ले ली है। बता दें कि बीजेपी के इस दांव से कांग्रेस को राजस्थान में बड़ा झटका लगेगा। इसके साथ ही बाड़मेर लोकसभा सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रविंद्र सिंह भाटी की टेंशन भी बढ़ जाएगी क्योंकि मानवेंद्र सिंह की वापसी से बीजेपी को राजपूत समाज का समर्थन मिल जाएगा, जिसके बल पर भाटी अपनी जीत तय मान रहे थे।

इस बार बाड़मेर लोकसभा सीट पर कड़ी टक्कर मानी जा रही है। शिव विधायक और पूर्व बीजेपी नेता रविंद्र सिंह इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतर आए हैं। ऐसे में बाड़मेर का सियासी समीकरण बदलने और बीजेपी की इस लोकसभा सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पीएम मोदी आज बाड़मेर में बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं।

पिता हुए बागी तो छोड़ दी थी BJP

वहीं, बात करें जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेंद्र सिंह जसोल की, तो उन्होंने बाड़मेर में तीन बार चुनाव लड़ा है। एक विधायक के रूप में और दो बार सांसद के रूप में। तीन में दो चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़े हैं, जबकि अन्य एक चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं। मानवेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1999 में भाजपा के टिकट पर लड़े, लेकिन वह कांग्रेस नेता कर्नल (सेवानिवृत्त) सोनाराम चौधरी से हार गए। 2004 में पासा पलटा और मानवेंद्र सिंह ने बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता। 2013 में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता और शेओ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने। 2014 में, भाजपा ने जसवंत सिंह को टिकट देने से इनकार कर दिया। इस पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। इसके बाद, मानवेंद्र सिंह ने विद्रोह कर दिया। इसके कारण उन्हें भाजपा से निलंबित कर दिया गया।

2018 में वसुंधरा राजे को दी थी टक्कर

बाद में वह 2018 में कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2019 में वह एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और हार गए। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें सिवाना से मैदान में उतारा। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी सहयोगी, कांग्रेस नेता सुनील परिहार ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसका नतीजा यह हुआ कि मानवेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा। सुनील परिहार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद मानवेंद्र सिंह निराश हो गए और उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।

बाड़मेर में जीत को लेकर आश्वस्त है बीजेपी

बाड़मेर में त्रिकोणीय मुकाबले में अपनी जीत को लेकर भाजपा आश्वस्त है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया ने कहा,' हम इस सीट को जीतने के लिए पूरी तरह तैयार है। 2014 में भी बाड़मेर में त्रिकोणीय मुकाबला था, फिर भी हम जीते। इस बार भी कुछ अलग नहीं है और हम यह सीट जीतेंगे।”

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