लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है। सभी दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है और अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रहे हैं। ऐसे में हम आपके लेकर आए हैं देश की कुछ ऐसी प्रमुख सीटों का हाल जहां राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता चुनावी मैदान में उतरे हैं और वहां कांटे की टक्कर है। इसी क्रम में आज हम चर्चा करेंगे राजस्थान के चर्चित चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट की। इस वक्त केंद्र और राजस्थान दोनों ही जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में भाजपा ने इस सीट से अपने राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सीपी जोशी को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने भी जोशी के खिलाफ अपने दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री आंजना को मैदान में उतारा है। आइए जानते हैं इस सीट के समीकरण और कुछ खास बातें।
क्या है चित्तौड़गढ़ का समीकरण?
कभी मेवाड़ की राजधानी रही चित्तौड़गढ़ लोक सभा सीट के अंतर्गत कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते है। इनमें से 6 सीटों पर भाजपा को बीते विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी। एक सीट निर्दलीय और एक कांग्रेस के खाते में गई थी। खुद आंजना भी क्षेत्र की निंबाहेड़ा सीट से चुनाव हार गए थे। ऐसे में कांग्रेस के लिए ये सीट बड़ी चुनौती है। क्षेत्र में कुल 18 लाख से भी ज्यादा वोटर्स हैं। यहां ब्राह्मण, राजपूत, अनुसूचित जनजाति आदि की अच्छी खासी जनसंख्या है।
आंजना को क्यों मिला टिकट?
बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गोपाल सिंह को चित्तौड़गढ़ से मैदान में उतारा था। हालांकि, उनपर बाहरी होने के आरोप लगे और वो सीपी जोशी से चुनाव हार गए। ऐसे में कांग्रेस को इस बार किसी लोकल चेहरे की तलाश थी जो दिग्गज नेता सीपी जोशी को टक्कर दे सके। आंजना चित्तौड़गढ़ सीट से सांसद भी रह चुके हैं। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत सिंह को इस सीट से हराया था। वह दो बार विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं और लोकल में उनकी अच्छी पकड़ है। ऐसे में आंजना ही कांग्रेस के लिए योग्य प्रत्याशी थे।
बीते दो चुनाव में सीपी जोशी का रहा है दबदबा
साल 2014 और 2019 दोनों ही लोकसभा चुनाव में चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर सीपी जोशी का दबदबा रहा है। 2019 में सीपी जोशी ने कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत को 5,76,247 वोटों के भारी अंतर से हराया था। उन्हें 67.4 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, 2014 में सीपी जोशी ने कांग्रेस प्रत्याशी गिरिजा व्यास को 3,16,857 वोटों के अंतर से हराया था।