Sunday, December 22, 2024
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VIDEO: भगवान भरोसे हॉस्पिटल! डॉक्टर ने मरीज के पेट के अंदर छोड़ी टॉवल, टांके लगाने के 3 महीने बाद चला पता

एक सरकारी हॉस्पिटल में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है, जिससे मरीज की जान खतरे में आ गई। यहां मरीज के पेट में टॉवल छोड़कर टांके लगा दिए गए।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Nov 25, 2024 14:17 IST, Updated : Nov 25, 2024 14:17 IST
Rajasthan
Image Source : INDIA TV मरीज के पेट से निकली टॉवल

कुचामन: राजस्थान के कुचामन में एक सरकारी हॉस्पिटल में घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक महिला के पेट के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने टॉवल को पेट के अंदर ही छोड़ दिया और टांके भी लगा दिया। 3 महीने तक महिला के पेट में दर्द होता रहा और वह पेन किलर गोलियां खाती रही। जब दर्द हद से बढ़ गया तो परिजनों ने महिला को एम्स में दिखाया। एम्स ने जब पेट के अंदर से इस टॉवल को निकाला तो सब दंग रह गए।

क्या है पूरा मामला?

कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में एक महिला के सिजेरियन प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने उसके पेट में 15 गुना 10 साइज का टॉवल (एक तरह से मेडिकल गॉज) छोड़ दिया। टॉवल अंदर होने के बावजूद महिला के टांके लगा दिए गए। प्रसव के पहले दिन एक जुलाई से लेकर तीन महीनों तक महिला तेज पेट दर्द से परेशान रही लेकिन कुचामन के सरकारी डॉक्टर तो छोडि़ए, वहां निजी अस्पताल, मकराना के अस्पताल और अजमेर के डॉक्टर भी महिला की इस पीड़ा को नहीं समझ पाए। 

अजमेर में डॉक्टरों ने तो सिटी स्कैन करके पेट में गांठ बता दी। थक हारकर महिला के परिजन एम्स जोधपुर पहुंचे, जहां गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सिटी स्कैन के बाद अंदर किसी फॉरेन बॉडी के होने की जानकारी दी और ऑपरेशन के समय वह टॉवल देखकर दंग रह गए। 

इतना बड़ा टॉवल आंतों से चिपका हुआ था और उसने महिला की आंतों को खराब कर दिया। तीन महीने तक महिला ने कई दर्द निवारक दवाएं लीं, जिससे उसके शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान हुआ। मामले में डीडवाना सीएमएचओ ने जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी गठित की थी लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं है। इसलिए अब उन्होंने न्याय के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

पेट दर्द के कारण दूध नहीं बना, शिशु पी रहा बाहर का दूध 

कुचामन निवासी पीडि़ता पेटदर्द के कारण बहुत कम खाना खा पाती थी, जिसके कारण उसके स्तन में दूध भी बहुत कम बन रहा था। शिशु को जन्म से ही बाहर का दूध पिलाना पड़ रहा था। नियम के अनुसार, पहले छह महीने तक केवल मां का दूध पिलाना जरुरी है। बाहर का दूध पीने से शिशु के जीवनभर कुपोषित रहने की आशंका होती है।

 3-4 महीने तक लिक्विड डाइट की सलाह 

पीड़िता की आंतें खराब हो जाने की वजह से उसकी आंतों में पाचन क्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई। एम्स के डॉक्टर्स ने पीड़िता को अगले तीन चार महीने लिक्विड डाइट के साथ हल्का आहार लेने की सलाह दी है।

एम्स ने गॉज का टुकड़ा कल्चर के लिए भेजा

एम्स में गेस्ट्रो सर्जरी के डॉ सुभाष सोनी के नेतृत्व में डॉ सेल्वाकुमार, डॉ वैभव वार्ष्णेय, डॉ पीयूष वार्ष्णेय और डॉ लोकेश अग्रवाल ने सर्जरी को अंजाम दिया। टॉवल का एक टुकड़ा डॉक्टरों ने लेकर उसे कल्चर के लिए भेजा है ताकि उसमें तीन महीने में पनपने वाले वैक्टीरिया सहित अन्य रासायनिक क्रियाओं की जांच की जा सके।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का सामने आया बयान

इस मामले में डीडवाना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अनिल जूडिया का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमनें इस मामले में जांच के लिए डॉक्टरों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जांच पूरी कर ली है। संभवत: आज इसकी रिपोर्ट मिल जाएगी। (इनपुट: जोधपुर से चंद्रशेखर व्यास)

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