पिछले साल उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड को कौन ही भूल सकता है। दो आरोपियों ने उनकी दुकान में घुसकर गला रेत दिया था, जिसके बाद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थी। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि देशभर में सनसनी फैल गई थी। हत्या करने के बाद दोनों आरोपी भागने की फिराक में थे लेकिन शक्ति सिंह और प्रह्लाद नामक दो लोगों ने अपनी जान पर खेलकर हत्यारों को पुलिस से पकड़वाया था।
सरकार ने वादा तो किया लेकिन अब शायद भूल गई
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब इन दोनों व्यक्तियों को अपनी जान का खतरा है। उस घटना के बाद दोनों की नौकरी चली गई। अब इन्हें कोई नौकरी नहीं दे रहा है। दोनों पिछले कई महीनों से बेरोजगार घूम रहे हैं। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने दोनों को सुरक्षा के लिहाज से गार्ड और लाइसेंसी बंदूक देने की बात कही थी, लेकिन अब तक वह वादा सिर्फ वादा ही बना हुआ है। कन्हैयालाल हत्याकांड को 6 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन सरकार ने प्रह्लाद और शक्ति सिंह की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा। आज तक सरकार यह जानने की कोशिश तक नहीं की है कि दोनों किस हालत में जीवन यापन कर रहे हैं।
हत्यारों का किया था 25 किमी तक पीछा
उस दिन को याद करते हुए प्रह्लाद और शक्ति सिंह बताते हैं कि उस दिन वे दोनों चौराहे पर बैठे थे। वहां और भी लोग थे लेकिन किसी ने भी उन्हें रोकने का पकड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। उन्होंने ने ही दोनों हत्यारों का 25 किलोमीटर से भी ज्यादा तक पीछा किया था, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें पकड़ा था।
चेहरा हुआ सार्वजनिक अब बना हुआ है खतरा
काम न मिलने को लेकर शक्ति ने बताया कि वे इससे पहले सूरत में एक किराना की दुकान पर काम करते थे। इस हत्याकांड के समय वह अपने माता-पिता से मिलने गांव आए थे। इस घटना के बाद जब वह वापस काम पर गए तो दुकान मालिक उन्हें नौकरी से निकाल दिया। जिसके बाद से अब तक कोई नौकरी नहीं मिली है। वहीं प्रह्लाद ने बताया कि जब उन दोनों ने हत्यारों को पकड़वाया तब उनके चेहरे और पहचान सार्वजनिक हो गई। जिसके बाद से उन्हें डर है कि उनके लोग कहीं रेकी न कर रहे हों। पता नहीं कब कौन कहां मिल जाये और उन्हें जान से मार दे।