जयपुर: मौत की सजा पाने वाले आरोपियों को अब जयपुर की सेन्ट्रल जेल मे फांसी नहीं दी जायेगी। फांसी देने के लिये जयपुर की सेन्ट्रल जेल नहीं बल्कि जयपुर से लगभग 65 किमी दूर दौसा की विशेष जेल को चुना गया है। जयपुर जेल मे फांसी देना उपयुक्त नहीं माना जा रहा है। उसकी खास वजह जानकर आप हैरान रह जायेंगे। दरअसल, शिफ्टिंग के पीछे का कारण यह है कि यह जेल तीन तरफ से रिहायशी इलाकों से घिरा हुआ है और फांसी परिसर में भी एक खुले मैदान में स्थित है।
जेल परिसर के आसपास रहने वाला कोई भी व्यक्ति फांसी का फंदा देख सकता है, जो सही नहीं है। जयपुर की केंद्रीय जेल में फांसी का फंदा भी नहीं है। वहीं दौसा जिले के शियालावास में स्थित विशेष जेल के चयन का कारण यह है कि यहां एक विशाल परिसर है। परिसर में पर्याप्त जगह है जहां फांसी घर बनाया जा सकता है और इस जेल के पास कोई रिहायशी इलाका भी नहीं है और फांसी घर जैसी जगह की गोपनीयता बरकरार रह सकती है।
क्या कहना है जेल डीआईज विकास कुमार का
इस मसले पर जेल डीआईजी विकास कुमार से इंडिया टीवी को बाताया कि जेल अधीक्षक की तरफ से एक प्रस्ताव भेजा गया है जिसमे जयपुर जेल मे फांसी देना किन्हीं कारणों से उपयुक्त नहीं माना गया है। मुद्दा गोपनीयता का है और जयपुर सेन्ट्रल के चारदीवारी के आस पास बने मकानों से जेल के अन्दर दिखाई देता है जहां फासी दी जाती है। लिहाजा ये उपयुक्त नहीं है कि यहां फांसी दी जाय।
दौसा की विशेष जेल क्यों है खास
40 एकड़ में फैले शिलावास की विशेष जेल ने 2018 में शुरू हुआ। जेल में 14 वार्ड हैं जिनमें 53 बैरक हैं। इनमें 157 कैदी बंद हैं। इन 14 वार्डों में एक जुदाई वार्ड भी शामिल है जिसमें 32 बैरक हैं। मौत की सजा पाने वालों को इस जुदाई वार्ड में स्थानांतरित किया जा सकता है। अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो जयपुर केंद्रीय जेल का भार भी कम हो सकता है।
31 जनवरी, 2020 तक जेल निदेशालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जयपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1173 है और वर्तमान में 1685 कैदी इसके अंदर बंद हैं, जिसका मतलब है कि अधिभोग दर 140% है। इन 1685 कैदियों में से 772 अपराधी हैं, 913 अपराधी हैं।
जयपुर सेन्ट्रल जेल मे फांसी का इतिहास
जयपुर केंद्रीय जेल में इकतीस लोगों को फांसी दी गई है। आखिरी फांसी 7 अप्रैल, 1997 को हुई थी, जब दोषी को पांच व्यक्तियों - उसके भाई, भाभी, उनके 2 बेटों और एक चाची की हत्या के लिए सजा सुनाई गई थी।