राजस्थान की राजधानी जयपुर में रोहिंग्या और घुसपैठियों को चिह्नित कर बाहर करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, जयपुर शहर में संचालित हटवाड़ों में व्यापार करने वालों और स्ट्रीट वेंडर्स को अब नगर निगम नए सिरे से पहचान कर लाइसेंस जारी करेगा। इसके लिए एक सर्वे करवाया जाएगा। इसमें इनकी पूरी जांच पड़ताल होगी। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश और बर्मा से आए रोहिंग्या और घुसपैठियों को चिह्नित कर शहर से बाहर करना है। जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मंगलवार को फुटकर व्यवसाय पुनर्वास समिति बैठक में यह फैसला लिया गया।
सर्वे कर रिकॉर्ड तैयार करने का फैसला
समिति ने आज बैठक करते हुए नगर निगम ग्रेटर एरिया में बिना निगम प्रशासन की एनओसी या मंजूरी के हटवाड़े संचालित नहीं करने का फैसला किया। इसके साथ ही इन हटवाड़ों में सर्वे करवाने और साथ ही शहर में स्ट्रीट वेंडर्स वालों का सर्वे करके उनका रिकॉर्ड तैयार करने का निर्णय किया, ताकि इनकी पहचान हो सके। इनका नाम वेंडर्स सूची में शामिल करके इनको लाइसेंस दिए जा सके।
स्ट्रीट वेंडर्स को लेकर क्या बोले समिति अध्यक्ष?
समिति अध्यक्ष अरुण शर्मा ने कहा, "स्ट्रीट वेंडर्स स्वरोजगार के जरिए न केवल अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर उनकी सहूलियत वाली जगह पर सामान उपलब्ध कराकर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं। देश में करीब 15 करोड़ लोग ऐसे हैं जो सीधे या परोक्ष रूप से स्ट्रीट वेंडिंग के कार्य से जुड़े हुए हैं। इतना होने के बावजूद भी रेहड़ी पटरी व्यवसायी और फेरीवाले समाज में हमेशा से हाशिए पर रहे हैं।"
"अवैध बांग्लादेशियों-रोहिंग्या ने डेरा जमा रखा है"
उन्होंने कहा, "स्ट्रीट वेंडर्स के रूप में जयपुर सहित प्रदेश भर में अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या ने डेरा जमा रखा है। इन लोगों ने शहर के वीआईपी क्षेत्र में भी सड़क और फुटपाथ पर मनमाने तरीके से कब्जा जमा रखा है। इससे जाम तो लगता ही है, साथ ही कई आपराधिक वारदातों में ऐसे लोगों के शामिल होने के कई मामले सामने आते रहते हैं। वहीं, इन लोगों की वजह से स्थानीय वेंडर्स को भी रोजगार के अवसर कम उपलब्ध हो रहे हैं। बाहरी लोगों की पहचान कर उन्हें हटाकर स्थानीय स्ट्रीट वेंडर्स को प्राथमिकता दी जाए और उन्हें ही लाइसेंस जारी किए जाए। ऐसा होने से घुसपैठिए भी कम होंगे और स्थानीय वंडर्स को भी फायदा मिलेगा।"
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