जयपुर: यूक्रेन में ताजा संकट के बीच वहां पढ़ाई करने गए भारतीय विद्यार्थियों के सामने युद्ध के साथ-साथ कड़कड़ाती सर्दी का संकट है तो भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बादल भी मंडरा रहे हैं। ऐसे ही एक वाकये में 21 साल का एक मेडिकल विद्यार्थी अपनी बड़ी बहन के साथ यूक्रेन के टेरनोलिप से पोलेंड सीमा तक पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर बस में तथा बाद में 20 किलोमीटर कड़कड़ाती सर्दी में पैदल चला। हालांकि अपने गंतव्य पर पहुंचने पर भी उन दोनों का सफर खत्म नहीं हुआ वहां लंबी कतारों में लोग इंतजार करते मिले।
कमोबेश ऐसी ही कहानी सैकड़ों अन्य लोगों की है जो सुरक्षित ठिकाने एवं पारगमन के लिए किसी तरह शेहनी-मीड्यका सीमा पर पहुंच रहे हैं। यह अलग बात है कि इस सीमा पर हालात और भी अराजक है जहां लोगों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी जा रही। वहां सुरक्षित आश्रय चाहने वालों की भीड़ लगी है। इस सीमा से 630 किलोमीटर की दूरी पर, आयुषी विश्नोई, उसके दोस्त और कई अन्य लोग यूक्रेन के कीव में एक छात्रावास की इमारत में फंसे हुए हैं। वे बमबारी होते देख रहे हैं, बार-बार सायरन सुनते हैं और कमरों और भूमिगत बंकरों के बीच जगह बदल रहे हैं। वे अपनी सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। हालांकि पोलैंड की सीमा बमबारी से तुलनात्मक रूप से सुरक्षित है लेकिन यूक्रेनी शहर कीव में रॉकेट हमलों और बमबारी से स्थिति भयावह है।
मेहुल, मेघना और आयुषी की तरह यूक्रेन में राजस्थान के सैकड़ों सहित हजारों भारतीय छात्र हैं जो वहां के ताजा हालात में दहशत और चिंता के साये में हैं और वहां से बाहर निकलने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जोधपुर की रहने वाले आयुषी ने फोन पर कहा,‘‘हम 18-21 वर्ष के आयु वर्ग के में हैं। हम यहां दो महीने पहले ही आए थे। हम इन हालात का सामना करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं हैं। हम चिंतित हैं, हमारे माता-पिता चिंतित हैं, हम चाहते हैं किसी भी तरह घर वापस पहुंचे।’’
कीव की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी की इस छात्रा ने कहा,‘‘कई छात्र पोलैंड की सीमा पर पहुंच गए हैं, लेकिन कीव में फंसे छात्रों के लिए कोई परामर्श नहीं है। हम सीमा तक सुरक्षित मार्ग चाहते हैं और भारतीय दूतावास को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। मैंने कई बार कोशिश की लेकिन दूतावास द्वारा उपलब्ध करवाई गई हेल्पलाइन पर बात नहीं हो पाई। मैंने अपना विवरण व्हाटसएप पर भी साझा किया यह संदेश देखा लिया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया।’’ उसने कहा,‘‘हमें व्हाट्सएप समूहों में दोस्तों और अन्य लोगों से नियमित अपडेट मिल रहे हैं। हमारे परिवार के सदस्य हमारी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हमारे और अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।’’ उन्होंने इसे कोरोना वायरस के शुरुआती दिनों से भी बदतर स्थिति करार दिया और कहा कि यह दु:स्वप्न जैसा है।
मेहुल ने कहा कि अनिश्चितता के बीच वे शुक्रवार को दोपहर तीन बजे टेरनोपिल से निकले और सीमा को जाने वाली बस लेने में कामयाब रहे, लेकिन भारी ट्रैफिक जाम के कारण, उन्हें सीमा के पास पहुंचने के लिए लगभग 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। उन्होंने कहा,‘‘हमें बताया गया था कि पोलैंड हमें प्रवेश करने देगा, इसलिए हम दौड़े। हमने किराए का भुगतान किया जो सात से आठ गुना अधिक था। कुछ ने सीमा तक पहुंचने के लिए 20 गुना अधिक किराए का भुगतान किया। चूंकि एक लंबा ट्रैफिक जाम था तो हमें लगभग 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। किसी तरह हम शनिवार को (स्थानीय समयानुसार) सुबह ती बजे सीमा के पास एक जगह पहुंचे। तब से, हम कतार में खड़े हैं। हमें सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।' उसने बताया कि वे लोग सीमा से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर फंसे हुए हैं।
इस बीच राजस्थान में सैकड़ों छात्रों के परिजन केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार से भी संपर्क कर अपने बच्चों की घर वापसी की व्यवस्था करने का अनुरोध कर रहे हैं। वे टेलीविजन और इंटरनेट पर लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को छात्रों और उनके परिवारों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया है। उन्होंने शनिवार को घोषणा की कि यूक्रेन से वापस आने वाले राजस्थानी छात्रों के हवाई किराए की प्रतिपूर्ति की जाएगी। गहलोत ने ट्वीट किया,' यूक्रेन और रूस के बीच बने युद्ध के हालात के दौरान विदेश मंत्रालय के परामर्श के बाद निजी खर्च से वतन वापस आने वाले राजस्थानियों को भाड़े का भुगतान किया जाएगा।'
उन्होंने लिखा,‘‘दिल्ली, मुंबई तथा अन्य हवाई अड्डों पर आने वाले राजस्थानियों को घर तक पहुंचाने की सुविधा राजस्थान सरकार द्वारा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए राजस्थान फाउंडेशन समन्वय करेगा।’’ राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त धीरज श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य के 600 से 800 छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं और फाउंडेशन ने विदेश मंत्रालय के साथ उनकी जानकारी साझा की है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘राजस्थान के अलावा, हमें कई अन्य राज्यों के कई लोगों से कॉल और अनुरोध मिल रहे हैं, जो यूक्रेन में फंसे अपने रिश्तेदारों या छात्रों के लिए मदद मांग रहे हैं। अपने लोगों की सुरक्षित निकासी के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों के अलावा हम पोलैंड, हंगरी, रोमानिया में प्रवासी राजस्थानियों के संपर्क में हैं।’’
(इनपुट- एजेंसी)