दौसा: केंद्र सरकार ने कोरोना काल में अनाथ बच्चों के लिए एक योजना चलाई है। इस योजना के तहत कोरोना की वजह से माता-पिता खोने वाले बच्चों को पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत मदद दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 18 साल का होने पर हर महीने वजीफा मिलेगा और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड दिया जाएगा। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अनाथ बच्चों के लिए चल रही योजना पर राजनीति शुरू कर दी है।
गहलोत ने कल एक मीटिंग में मोदी सरकार की पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना पर सवाल खड़े किए थे। अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार की योजना को डिफेक्टिव बताया। गहलोत ने कहा है कि कोरोना काल में अनाथ बच्चों के लिए सबसे अच्छी योजना राजस्थान सरकार ने शुरू की है। बता दें कि सीएम गहलोत ने भी एक योजना शुरू की है मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना।
इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों को तत्काल एक लाख का अनुदान, 18 साल तक अनाथ बच्चों को हर महीने ढाई हजार रुपये और 18 वर्ष पूरा होने पर पांच लाख की सहायता के साथ 12वीं कक्षा तक पढ़ाई फ्री है। इसकी हक़ीक़त जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर जब इंडिया टीवी की टीम पहुंची तो बेसहारा मासूमों का कल्याण करने वाली ये योजना दूर दूर तक दिखाई नही दी।
दौसा शहर की तीन मासूम बेटियों के सर से मां बाप का साया छिन गया है। कोरोना ने खेलने की उम्र में जिम्मेदारी दे दी। चाचा ने बच्चियों को सहारा देने की कोशिश की मगर चाचा की भी आर्थिक स्थिति ठीक नही है। इलाके के डीएम आये तो थे लेकिन सरकारी वादा करके चले गए। दौसा से करीब 20 किलोमीटर दूर लाका गांव में तो हालात और भी बदतर मिले।
करीब 8 महीने पहले गोविंद शर्मा की कोरोना से मौत हो गई। दो बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। बच्चों की मां ग्रहणी हैं। 8 महीने से सरकार ने कोई सुध नहीं ली है। मां के आंसू बेटे के गम में थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बेटा और बेटी अपने पिता को याद कर अभी तक रोते हैं। गोविंद शर्मा का भाई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट काट कर थक गया है मगर सरकार की योजना का लाभ ना इन मासूमों तक पहुंच पाया ना गोविंद शर्मा की विधवा पत्नी तक।
वसीम और गोविंद शर्मा के परिवार के हालात जानने के बाद दौसा जिले के कुंडा पहुंचे। पहाड़ी की तलहटी के नीचे बेसहारा मासूमों को सहारा देने की बात कर रही सरकार के दावे तो बहुत हैं मगर तस्वीर यहां भी कमोबेश वैसी ही मिली। 16 मई को रूप सिंह की कोरोना से मौत हो गई। दो बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया पत्नी विधवा हो गई। चार बेटों में घर का सबसे छोटा बेटा था रूप सिंह। घर पर जैसे हीं कोई पहुंचता है तो उम्मीद जग जाती है शायद सरकारी मदद लेकर कोई आया होगा। यहां भी मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना महज कागजों में सिमटी नजर आई।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि योजना के दावों में और जमीनी हकीकत में कितना अंतर है। प्रदेश के अजमेर में 6, अलवर में 34, बांसवाड़ा में 33, बारां में 3, बाड़मेर में 5, भरतपुर में 18, भीलवाड़ा में 9, बीकानेर में 7, बूंदी में 21, चितौड़गढ़ में 9, चूरू में 12, दौसा में 30, धौलपुर में 9, डूंगरपुर में 7, गंगानगर में 6, हनुमानगढ़ में 16, जयपुर में 29, जैसलमेर में 5, जालोर में 7, झालावाड़ में 12, झुंझुनू में 8, जोधपुर में 10, करोली में 12, कोटा में 15, नागौर में 6, पाली में 15, प्रतापगढ़ में 6, राजसमंद में 3, सवाई माधोपुर में 3, सीकर में 12, सिरोही में 7, टोंक में 18 और उदयपुर में 8 बच्चे अनाथ हुए हैं।
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