सीकर: सीकर के हर्ष पर्वत पर प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा हर किसी का मन मोह लिया। नए साल पर जश्न मनाने पहुंचे लोगों को यहां पर स्विट्जरलैंड जैसा अनुभव हो रहा है। सीकर से मात्र 15 किलोमीटर दूर स्थित यह पर्वत बादलों की अठखेलियों और हरियाली से सजी वादियों के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है।
इंडिया टीवी के दर्शक व प्रसिद्ध ट्रैवल फोटोग्राफर हेमंत महरिया ने इस दृश्य को ड्रोन कैमरे में कैद किया। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं। नववर्ष पर उनका रिकॉर्ड किया ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
नववर्ष का नया अनुभव
नववर्ष 2025 पर हर्ष पर्वत पर उमड़ते बादल और हरियाली से सजी वादियां पर्यटकों को अद्भुत दृश्यावली का अनुभव करा रही हैं। यह स्थान राजस्थान के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यहां देखें प्राकृतिक सुंदरता का वीडियो
हर्ष पर्वत: धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
हर्ष पर्वत अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 3,100 फीट है। यह राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी माउंट आबू के गुरु शिखर के बाद दूसरी सबसे ऊंची पहाड़ी है। इस पर्वत पर स्थित हर्षनाथ मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इस पर्वत पर दुर्गांत राक्षसों का संहार किया था, जिससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और इस स्थान का नाम हर्ष पर्वत पड़ा।
पौराणिक कथा और जीणमाता से जुड़ाव
हर्ष पर्वत को जीणमाता का भाई माना जाता है। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
इतिहास की झलक: शिलालेखों में हर्ष का विवरण
हर्षनाथ मंदिर और इसके आसपास के अवशेषों से इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व स्पष्ट होता है। जिला म्यूजियम में रखे शिलालेख बताते हैं कि चौहान राजा सिंहराज ने संवत 1018 में इस मंदिर की स्थापना की थी, जिसे उनके उत्तराधिकारी राजा विग्रहराज ने पूर्ण किया। यह भी पता चलता है कि यहां कुल 84 मंदिर थे।
रिपोर्ट- अमित शर्मा, सीकर