जयपुर. जहर जहर को काटता है, ये कहावत जरूर है लेकिन राजस्थान में कोरोना से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान साबित होने वाला है। दरअसल ये हम नहीं कह रहे है ये कहना है जयपुर के होम्योपैथिक डॉक्टर अजय यादव का। डॉक्टर अजय यादव का कहना है कि 45 दिन की रिसर्च और कड़ी मेहनत के बाद होम्योपैथिक की जो दवाई तैयार की गयी है, उससे कोविड मरीजों को ठीक किया जा सकता है। उनका दावा है कि ये सिर्फ हवाई बातें नहीं हैं बल्कि 44 कोविड मरीजों को इस दवाई से ठीक किया गया है।
ये दवाइयां देंगी कोरोना को मात!
डॉक्टर अजय यादव का कहना है कि ब्रोमियम का अर्थ है ब्रोमीन गैस, क्लोरम यानी क्लोरीन और ओजना यानी प्रकृति को फिल्टर करने वाला ओजन की परत या यूं कहें O3, इन तीनों होम्योपैथिक की दवाई को और मनुष्य के व्यवहार को आपस मे मिलाकर रिसर्च किया गया है कि किस तरह से कोविड 19 वायरस को ये दवाई काट सकती है।अजय यादव ने बताया कि ब्रोमियम दवाई का नेचर ओवर हीटेड है, खास तौर पर कोरोना वॉरियर्स के लिये जो कि हर दिन आम दिनचर्या मे बहुत तनाव मे रहते है, इतना ही नहीं क्लोरीन दवाई से जो साईड इफेक्ट होता है उसको क्लोरम ही सही करती है। कुल मिलाकर इम्युन सिस्टम को मजबूत भी करती है। आम भाषा में कहें तो जब ये तीनों सॉल्ट मनुष्य के शरीर मे प्रवेश करते है, एचओबीआर और एचओ सीएल बनाता है, जो कोरोना वायरस को नष्ट करता है।
डॉक्टर अजय यादव का कहना है कि ऐसे दौर मे जब ये बीमारी लोगों के लिए घातक बनी हुई है उस वक्त ये दवाई लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। लोगों को ये दवाई मिलेगी तो महज 7 दिन के अंदर मरीज सही हो जायेगा। उन्होंने बताया कि सरकार को इस बारे मे अवगत करा दिया गया है। सरकार ने WHO को सूचित किया है ताकि इस पर आगे जो भी कागजी काम हो उनको पूरा किया जा सके।
'कोई भी डॉक्टर या वैज्ञानिक मेरे प्रयोग को गलत साबित नहीं कर सकता'
डाँक्टर अजय यादव का कहना है कि होम्योपैथिक मुनष्य के व्यवहार व उसकी प्रृकृति पर निर्भर करता है लेकिन इस दवाई मे जो कॉम्बिनेशन दिया गया है वैज्ञानिक दृष्टिकोण में कोई इसे गलत नहीं कह सकता है। अगर कोई कहता है तो इसे प्रूव करके दिखाये, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे द्वारा दी गयी हुई दवाई गलत नहीं साबित कर पायेंगे।
लगभग 50 लोग हो चुके हैं ठीक- वरिष्ठ IAS प्रदीप कुमार बोरड़
वरिष्ठ IAS प्रदीप कुमार बोरड़ का कहना है कि इस दवाई से लगभग 50 लोग सही हो चुके हैं। होम्योपैथिक दवाई को कभी पहचान नहीं मिली लेकिन इस दवाई का अगर सरकार औपचारिक रूप से मरीजों पर प्रयोग करेगी तो होम्योपैथिक के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। सरकार इस प्रयास में है कि इस दवाई को कोविड मरीजों को औपचारिक रूप से दिया जाए।