राजस्थान में वीरांगनाओं के मुद्दे पर खूब सियासत हो रही है। बीजेपी जहां गहलोत सरकार के खिलाफ सड़कों पर है तो वहीं सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि इन सभी वीरांगनाओं को बीजेपी नेताओं ने इकट्ठा किया है क्योंकि अब चुनाव का वक्त है। ये लोग अब 4 साल बाद नौकरी क्यों मांग रहे हैं। घटना 2019 में हुई उस वक्त मांग क्यों नहीं की। अब चार साल बाद आप मांग करके धरना दे रही हैं?
"वीरांगनाओं को बीजेपी नेताओं ने इकट्ठा किया"
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि ये पूरे राज्य और देश के लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसा करके ये देश में राजस्थान की बदनामी करवा रहे हैं। ऐसी हरकतों के लिए जनता इनको आने वाले समय में जवाब देगी। सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि इन सभी वीरांगनाओं को बीजेपी नेताओं ने इकट्ठा किया है। ये लोग अब 4 साल बाद नौकरी क्यों मांग रहे हैं। घटना 2019 में हुई उस वक्त मांग क्यों नहीं की। गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार सबसे अच्छा पैकेज देने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि बच्चे के अलावा परिवार में किसी और के लिए आप कैसे नौकरी मांग सकते हैं।
"बच्चे के अलावा किसी और की नौकरी की बात न हो"
अशोक गहलोत ने आगे कहा, "कल मुझसे वीरांगनाएं मिलीं, वे एक सुर में बोल रही थीं कि ये क्या मजाक बना रखा है। वीरांगनाओं ने कहा कि हम चाहेंगे कि हमारे बच्चे के अलावा किसी और की नौकरी की बात नहीं हो। गहलोत ने आगे कहा कि ऐसी हरकतें विपक्षी पार्टी को शोभा नहीं देती। इनकी पार्टी केंद्र में सत्ता में है, उसके बावजूद भी ये जिम्मेदारी से अपनी भूमिका अदा नहीं कर पा रहे हैं।
28 फरवरी से प्रदर्शन कर रहीं वीरांगनाएं
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले सीआरपीएफ के तीन जवानों की पत्नियों का विरोध प्रदर्शन तूल पकड़ रहा है। पुलवामा में शहीद हुए जवानों की पत्नियां 28 फरवरी से प्रदर्शन कर रही हैं। ये नियमों में बदलाव की मांग कर रही हैं ताकि न सिर्फ उनके बच्चों बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मिल सके। उनकी अन्य मांगों में सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना शामिल है।
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