Sunday, December 22, 2024
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क्या दीया कुमारी बनेंगी वसुंधरा राजे का विकल्प? PM मोदी की सभा के बाद आई चर्चा में

पहले सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकीं दीया कुमारी फिलहाल राजसमंद लोकसभा सीट से सांसद हैं। भाजपा द्वारा विद्याधर नगर से दीया कुमारी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने राजवी का टिकट काटने का विरोध किया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Nov 17, 2023 11:36 IST, Updated : Nov 17, 2023 11:36 IST
diya kumari
Image Source : FILE PHOTO बीजेपी प्रत्याशी दीया कुमारी

जयपुर: पूर्व राजपरिवार की सदस्य और विद्याधर नगर से भाजपा उम्मीदवार दीया कुमारी ने राजस्थान में कांग्रेस के चुनावी नारे "काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से" को खारिज करते हुए कहा कि सरकार चुनाव से कुछ महीने पहले घोषणाएं करके "लोगों को मूर्ख" नहीं बना सकती। राजसमंद से भाजपा सांसद ने विद्याधर नगर सीट पर नरपत सिंह राजवी के बजाय उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "ऐसी चीजें होती रहती हैं। यह हर चुनाव में होता है। पार्टी एक परिवार की तरह काम करती है और जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

...तो इसलिए माना जा रहा वसुंधरा का विकल्प

वहीं, आपको बता दें कि बीजेपी की तरफ से सीएम चेहरे को लेकर सांसद दीया कुमारी के नाम से सियासत में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। पिछले महीने जयपुर में पीएम मोदी की सभा के दौरान दीया कुमारी काफी 'हाइलाइट' दिखी जिसको लेकर सियासत में दीया कुमारी को मुख्यमंत्री के चेहरे का दावेदार माना जा रहा है। दीया को भाषण देने का मौका भी मिला। इसके अलावा उन्होंने सभा का मंच संचालन भी किया। जबकि सभा में मौजूद वसुंधरा राजे को संबोधन के लिए मौका तक नहीं मिला। इन सभी राजनीतिक घटनाक्रम को देखकर दिया कुमारी को वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ सीट से मैदान में उतारा

भाजपा ने भैरों सिंह शेखावत के दामाद और 5 बार के विधायक नरपत सिंह राजवी को उनकी वर्तमान विद्याधर नगर सीट से टिकट नहीं दिया है। पार्टी ने उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची में राजवी को चित्तौड़गढ़ सीट से उतारा है। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार पिछले कुछ महीने के दौरान शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा कर रही है। पार्टी का चुनावी नारा "काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से" भी इसी पर केंद्रित है। दीया कुमारी ने सत्ता के लिए अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच खींचतान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, "पता नहीं, वे क्या बात कर रहे हैं और क्या सपना देख रहे हैं। राजस्थान के लोग पिछले पांच साल में पूरी तरह से तंग आ चुके हैं। उनकी आंतरिक लड़ाई के कारण राजस्थान में कोई काम नहीं हुआ।"

'गहलोत सरकार ने वादे तो बहुत किए पर कुछ नहीं हुआ'

उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीनों में कांग्रेस ने राजस्थान के लोगों को लुभाने की बहुत कोशिश की। भाजपा नेता ने आरोप लगाया, ''मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार ने चुनाव से पहले कई घोषणाएं और वादे करके अति कर दी, लेकिन कुछ भी धरातल पर नहीं दिख रहा है और जनता को इसका लाभ नहीं मिला है।’’ उन्होंने कहा, "आप (गहलोत सरकार) अंतिम तीन-चार महीनों में घोषणाएं करके लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते... जनता बहुत समझदार हैं और सोच समझकर वोट देती है। उनके (कांग्रेस के) पास समय था लेकिन उन्होंने इसका उपयोग नहीं किया। अब, ऐसी बातें करना सही नहीं है। इससे कुछ नहीं होगा।''

पहले सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकीं दीया कुमारी फिलहाल राजसमंद लोकसभा सीट से सांसद हैं। भाजपा द्वारा विद्याधर नगर से दीया कुमारी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने राजवी का टिकट काटने का विरोध किया। बाद में पार्टी ने राजवी को चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया।

2018 में बहुमत से एक सीट पीछे रह गई थी कांग्रेस

2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को मात देकर एक बार फिर सत्ता में वापसी की थी। 2013 के चुनावों में मात्र 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने 2018 में 200 सदस्यीय विधानसभा में 100 सीटें जीती थीं। बहुमत से एक सीट पीछे रही कांग्रेस ने निर्दलीयों एवं अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। वहीं, बीजेपी को 2018 के मुकाबले 90 सीटों का घाटा हुआ था और वह मात्र 73 सीटों पर सिमट गई थी। ‘अन्य’ के खाते में 27 सीटें गई थीं और उन्होंने पिछले चुनावों में बड़ा अंतर पैदा किया था। मौजूदा चुनावों में भी मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस में मानी जा रही है और दोनों ही दलों के नेता जनता को अपने पक्ष में लुभाने के लिए वादों की फेहरिस्त लेकर चुनावी मैदान में उतरे हैं।

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