जयपुर: राजस्थान के डॉक्टरों ने राज्य विधानसभा में हाल ही में पारित स्वास्थ्य के अधिकार (Right To Health) अधिनियम के विरोध में मंगलवार को जयपुर में एक विशाल रैली आयोजित की। जानकारी के मुताबिक इस रैली में आईएमए हरियाणा इकाई के सदस्यों सहित 20,000 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया। इस रैली के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार और डॉक्टर 'स्वास्थ्य के अधिकार' बिल पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं। इसके बाद खबर मिल रही है कि कुछ डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली है। कहा जा रहा है कि गहलोत सरकार ने डॉक्टरों की आठ मांगें मान ली हैं।
डॉक्टरों औऱ सरकार के बीच हुआ समझौता
1. 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को आरटीएच से बाहर कर दिया है।
2. सभी निजी अस्पतालों की स्थापना सरकार से बिना किसी सुविधा के हुई है और रियायती दर पर बिल्डिंग को भी आरटीएच अधिनियम से बाहर रखा जाएगा।
3. ये अस्पताल आरटीएच के दायरे में आएंगे-
- निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल
- पीपीपी मोड पर बने अस्पताल
- सरकार से मुफ्त या रियायती दरों पर जमीन लेने के बाद स्थापित अस्पताल (प्रति उनके अनुबंध की शर्तें)
- अस्पताल ट्रस्टों द्वारा चलाए जाते हैं(भूमि और बिल्डिंग के रूप में सरकार द्वारा वित्तपोषित)
4. राजस्थान में अलग-अलग जगह पर बने अस्पतालों को कोटा मॉडल के आधार पर नियमित किया जाएगा।
5. आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस केस और अन्य मामले वापस लिए जाएंगे।
6. अस्पतालों के लिए लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम होगा।
7. फायर एनओसी नवीनीकरण हर 5 साल में करवाया जाएगा।
8. आईएमए के दो प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद ही आगे से नियमों में कोई और परिवर्तन किया जाएगा।
बता दें कि राइट टू हेल्थ बिल को लेकर गहलोत सरकार और डॉक्टरों के बीच तनातनी चल रह थी। डॉक्टर राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पारित होन के बाद आक्रोशित थे और हड़ताल पर चले गए थे जिससे राजस्थान में पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी।
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