Highlights
- सचिन पायलट के बयान ने राजस्थान में सियासी पारा चढ़ाया
- एक बार फिर कांग्रेस के दो टॉप लीडर्स के बीच खुली लड़ाई
- दलित लड़के की हत्या मामले ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह खोली
Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान के सियासी गलियारों में एक बार फिर से उथल-पुथल मच गई है। एकजुटता के तमाम दावों के बावजूद गहलोत और पायलट की सियासी अदावत जगजाहिर है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) द्वारा हाल ही में दिए गए बयान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। बता दें कि राज्य के जालोर जिले के सुराणा में एक दलित लड़के की उसके टीचर द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के बाद राज्य सरकार बैकफुट पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को न केवल विपक्ष बल्कि अपनी ही पार्टी के नेताओं से भी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। इस घटना ने राज्य में कांग्रेस की अंदरूनी कलह भी खोल दी है।
कांग्रेस के दो टॉप लीडर्स के बीच खुली लड़ाई
कांग्रेस नेता सचिन पायलट, जिन्होंने 2020 में मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ विद्रोह किया था, ने अपनी ही सरकार पर इनडायरेक्ट हमला किया और कहा, सरकार चीजों को हल्के में नहीं ले सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को दलितों में विश्वास पैदा करना होगा, हम उनके साथ खड़े हैं। कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सरकार को व्यवस्था बदलने के लिए कमियों पर काम करना चाहिए। पायलट की अपनी ही सरकार की आलोचना ने राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस के दो शीर्ष नेताओं के बीच खुली लड़ाई की अटकलों को हवा दे दी है।
15 अगस्त को गहलोत ने कसा था तंज
सचिन पायलट के बयान को सीएम गहलोत के बयान के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। राजस्थान के लॉ एंड ऑर्डर के सवाल पर सीएम ने 15 अगस्त को कहा था- दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत अच्छी स्थिति हमारी है। आप देखते होंगे कि यूपी में क्या हो रहा है, मध्यप्रदेश में क्या हो रहा है, और राज्यों में क्या हो रहा है? इसके अलावा सीएम गहलोत ने पायलट पर कटाक्ष करते हुए यह भी कहा था कुछ नेता यह कहकर कार्यकर्ताओं को भड़काते हैं कि उनका सम्मान होना चाहिए। हमारे ही कुछ नेता कार्यकर्ताओं को भड़काते हैं। कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान होना चाहिए, आजकल यह जुमला हो गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान आपने किया है क्या कभी? जानते भी हो कि क्या होता है कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान? हम तो मान-सम्मान पाते-पाते ही कार्यकर्ता से नेता बने हैं।” हालांकि, गहलोत ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके इस बयान को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है।
कई बार आमने-सामने हो चुके हैं गहलोत और पायलट
बता दें कि राजस्थान में यह पहली बार नहीं है जब गहलोत-पायलट आमने-सामने खड़े हैं बल्कि प्रदेश में सरकार के गठन से पहले ही दोनों के बीच बड़े स्तर पर मनमुटाव की शुरुआत हो गई थी। मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों के बीच लम्बा संघर्ष चला था और उसके बाद सियासी बगावत के दौरान खूब भला-बुरा कहा गया। तब सीएम गहलोत ने पायलट के लिए नकारा-निकम्मा शब्द तक इस्तेमाल किए थे। उसके बाद समय-समय पर दोनों खेमों के बीच जुबानी तीर चले।