राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांग्लादेश में बढ़ते भारत विरोधी माहौल और हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की अपील की। गहलोत ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में विजय दिवस के अवसर पर भारत विरोधी नारेबाजी और वहां के हालात पर अपनी चिंता व्यक्त की।
गहलोत ने कहा, "मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय दिवस के मौके पर बांग्लादेश में भारत विरोधी नारे लगाए गए। यह बहुत ही चिंताजनक है, क्योंकि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलवाई थी और दोनों देशों के बीच हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं। अब इन रिश्तों में कटुता आना एक गंभीर समस्या है।"
पूर्वोत्तर भारत के राज्यों का बांग्लादेश के साथ रोजमर्रा का व्यापार
उन्होंने बांग्लादेश और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों का भी जिक्र किया और कहा कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों का बांग्लादेश के साथ रोजमर्रा का व्यापार होता है, जो वर्तमान में रुक गया है। इसके साथ ही गहलोत ने बांग्लादेश के आशुपुर में भारतीय सैनिकों के योगदान को याद रखने के लिए बनाए जा रहे स्मारक का काम भी बंद होने की बात की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार हो रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर भारत सरकार की ओर से अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह विचारणीय है कि बांग्लादेश युद्ध की विजय के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा का सम्मान दिया था, लेकिन भारत सरकार ने विजय दिवस के मौके पर देशभर में कोई बड़ा आयोजन नहीं किया।
बांग्लादेश युद्ध में भारतीय सेना के योगदान का जिक्र
गहलोत ने बांग्लादेश युद्ध में भारतीय सेना के योगदान का भी जिक्र किया, जब भारतीय सेना ने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण कराया था, जो भारतीय इतिहास का एक अहम पल था। उन्होंने सवाल उठाया, "क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि हम नई पीढ़ी को इस ऐतिहासिक घटना के बारे में बताएं और इस विजय का जश्न मनाएं?"
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे बांग्लादेश में बढ़ रहे भारत विरोधी माहौल और हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर कड़ी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को कूटनीतिक माध्यमों से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बांग्लादेश की सरकार इन घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए, ताकि दोनों देशों के बीच रिश्ते फिर से पहले जैसे हो सकें। (भाषा)
ये भी पढ़ें-
संभल सांसद बर्क के घर पहुंची बिजली विभाग की टीम, बदल दिया मीटर, जानें अब आगे क्या