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कौन थे 'अजमेर के रईसजादे' जिन्होंने 100 कॉलेज गर्ल्स से किया था गैंगरेप

ब्लैकमेल कांड में जांच के बाद अजमेर शहर यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट और जॉइंट सेक्रेट्री के साथ-साथ कुछ रईसजादों के नाम सामने आए। रसूखदारों के नाम सामने आते ही पुलिस मामले को दबाने में लग गई।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Aug 21, 2024 13:38 IST, Updated : Aug 21, 2024 13:38 IST
अजमेर कांड के आरोपी- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अजमेर कांड के आरोपी

अजमेर में हुए देश के बहुचर्चित ब्लैकमेल-रेप कांड मामले में 32 साल के बाद आए फैसले के तहत कोर्ट ने बाकी बचे सात में से छह आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई गई। ब्लैकमेल कांड में शामिल आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन हैं। इन सभी आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

एक लड़की को छोड़ने के लिए रखते थे दूसरी लाने की शर्त

इस स्कैंडल की शुरुआत 1990 से हुई थी। दरअसल, आरोपियों ने पहले एक लड़की को अपने चंगुल में फंसाया। इसके बाद पहली लड़की को छोड़ने के बदले उसके सामने दूसरी लड़की लाने की शर्त रखते थे। इस तरह एक के बाद एक 100 से ज्यादा कॉलेज की लड़कियों के साथ आरोपियों ने गैंगरेप किया। गैंगरेप के दौरान आरोपी लड़कियों की नग्न फोटो खींच लेते थे। इसी दौरान एक कलर लैब से कई लड़कियों की नग्न फोटो शहर भर में फैल गई। बता दें कि ये कहानी करीब 32 साल पुराने मामले की है, जिस पर मंगलवार को कोर्ट का फैसला आया।

कौन रसूखदार लोग थे इसके पीछे?

अजमेर में यूथ कांग्रेस का तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस और उसके गुर्गे कॉलेज की लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे। फार्महाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर लड़कियों को बुलाते थे और फिर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर उनके साथ गैंगरेप करते थे। इसके बाद उनकी न्यूड तस्वीरें खींच लेते थे और लड़कियों को ब्लैकमेल कर दूसरी लड़कियों को अपने साथ लाने का दबाव बनाते थे। इस तरह एक के बाद एक लकड़ी इनके चंगुल में फंसती चली गई।

जांच के बाद अजमेर शहर यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट और जॉइंट सेक्रेट्री के साथ-साथ कुछ रईसजादों के नाम सामने आए। केस के मास्टरमाइंड अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती थे। रसूखदारों के नाम सामने आते ही पुलिस मामले को दबाने में लग गई। बात बिगड़ती देख राजस्थान की तत्कालीन भैरोंसिंह शेखावत सरकार ने जांच CID को दे दी। इस केस में कुल 18 लोगों पर आरोप लगे थे।

फिर स्थानीय दैनिक नवज्योति अखबार में युवा रिपोर्टर संतोष गुप्ता ने खबर लिखी और प्रशासन हिलने लगा। इन बेटियों के साथ ये दरिंदों ने ये क्या कर दिया। हर किसी का खून खौल रहा था। खबर में गिरोह के लोग धार्मिक-राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक सभी तरह से प्रभावशाली बताए गए थे। इधर समाजकंटक अपने कुकर्मों के साक्ष्य मिटाने में लग गए। वहीं, ओहदेदार आरोपियों को बचाने में लग गए।

18 पीड़िताओं ने दिए थे बयान

मामले का खुलासा होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत जुटा कर पुलिस के पास भी गईं, लेकिन पुलिस ने केवल बयान दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उधर आरोपियों ने बयान देने वाली लड़कियों को धमकाना शुरू कर दिया। एक तो आरोपियों का खुले आम घूमना और फिर धमकी देने का असर यह हुआ कि फिर वो लड़कियां कभी पुलिस के सामने नहीं गईं। हालांकि बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिया। बाकी लड़कियां भूमिगत हो गईं।

कलर लैब से लीक हुईं तस्वीरें

'अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड' का खुलासा अजमेर के एक कलर लैब से हुआ। जब वहां रखे कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए और शहर में चर्चा शुरू हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो इस स्कैंडल का खुलासा हुआ। अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था। शुरुआती जांच में एक भी पीड़िता सामने नहीं आ रही थी, जिसके बाद पुलिस उन तस्वीरों के जरिए लड़कियों तक पहुंचने लगी। इस मामले के बाद कुछ लड़कियों ने तो आत्महत्या भी कर ली।

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