जयपुर: राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण के शुक्रवार को 35 नये मामले सामने आए। चिकित्सा विभाग द्वारा शुक्रवार शाम जारी आंकड़ों के अनुसार बीते चौबीस घंटों में राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के 35 नये मामले सामने आये, जिनमें से उदयपुर में 8 और जयपुर में 7 मामले आए हैं। वहीं इस घातक संक्रमण से राज्य में अब तक 8947 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को राज्य में 33 जिलों में से 22 जिले कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त पाये गये। आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान राज्य में 54 लोग संक्रमण से ठीक हुए हैं। अब राज्य में 503 संक्रमित उपचाराधीन हैं।
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि कोरोना महामारी से जंग के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी है। उन्होंने कहा कि सार्वभौम टीकाकरण व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही इस महामारी का मुकाबला किया जा सकता है। इसके साथ ही चिदंबरम ने वैक्सीन राष्ट्रवाद पर चिंता जताते हुए कहा कि इसने महामारी से लड़ने की वैश्विक भागीदारी की भावना को चोट पहुंचाई है। चिदंबरम शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा में 'वैश्विक महामारी तथा लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां' विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
चिदंबरम ने कहा कि कोरोना से जंग के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना जरूरी है और सार्वभौम टीकाकरण से ही इस महामारी से मुकाबला संभव है और इसके लिए दुनिया के सक्षम देशों को आपसी सहयोग से यह जिम्मेदारी उठानी होगी। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया है, लोगों का रोजगार चला गया है और लोगों के बीच असमानता की खाई को और भी गहरा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस महामारी के दो चिंताजनक पहलू हैं, पहला तो स्वयं यह महामारी और दूसरा लोकतंत्र पर इसका प्रभाव। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने दुनिया के हर देश की शासन प्रणाली पर चाहे वह लोकतंत्र हो, राजतंत्र या फिर तानाशाही, सभी को प्रभावित किया है। चिदंबरम ने कहा कि लोकतंत्र में आलोचना होना स्वाभाविक है और इसीलिए यह दूसरे प्रकार की शासन प्रणालियों से अलग है। उन्होंने कहा कि देशों में वैक्सीन राष्ट्रवाद का अनोखा चलन सामने आया है, यानी जो वैक्सीन मैंने बनाई या मैं खरीद सकता हूं, वह मेरी है या अपनी वैक्सीन प्रमोट करने के लिए मैं दूसरे की वैक्सीन को अनुमति नहीं दूंगा।
चिदंबरम के अनुसार इस चलन ने महामारी से लड़ने के वैश्विक सहयोग की भावना को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि सक्षम देशों द्वारा आबादी के मुकाबले दो या तीन गुना टीके की खरीद की वजह से कई छोटे और गरीब देश टीके की उपलब्धता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय में हमारे देश में भी केन्द्रीकरण,टीकाकरण कार्यक्रम की सही योजना और क्रियान्वयन, शिक्षा और हेल्थकेयर संसाधन, सामाजिक और आर्थिक असमानता, विधि के शासन और वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में सामने आई हैं।
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