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NCP को इस राज्य में लगा बड़ा झटका, 17 पार्षदों ने थामा बीजेपी का हाथ

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को करारा झटका देते हुए स्थानीय नगरपालिका चुनाव जीतने वाले 17 एनसीपी के पार्षद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 02, 2021 19:23 IST
17 NCP councillors who won Rajasthan local polls join BJP- India TV Hindi
Image Source : PTI एनसीपी को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब स्थानीय नगरपालिका चुनाव जीतने वाले 17 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए।

जयपुर: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को राजस्थान में उस वक्त बड़ा झटका लगा जब राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को करारा झटका देते हुए टोंक जिले के निवाई से स्थानीय नगरपालिका चुनाव जीतने वाले 17 एनसीपी के पार्षद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए, जिससे बीजेपी के खाते में एक और सीट बढ़ गई है और अब पार्टी की जीत 25 सीटों पर हो गई है। गुरुवार को राज्य में 90 सीटों के लिए हुए स्थानीय चुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस 19 सीटों तक ही सीमित रही।

स्थानीय नगरपालिका बोर्ड चुनाव सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी एक प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है। दोनों पार्टियां अधिकतम सीटों पर अपने बोर्ड बनाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही हैं। राज्य की 90 सीटों पर हुए स्थानीय चुनावों में बीजेपी ने 24 सीटें जीतीं, वहीं कांग्रेस को निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की उम्मीद है, जो बाकी सीटों पर असली किंगमेकर की भूमिका में उभरे हैं।

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने कहा कि पार्टी लगभग 52 सीटों पर अपना बोर्ड बनाएगी, जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने उनके दावे पर सवाल उठा दिया, क्योंकि बीजेपी ने 24 सीटें जीतीं, इसलिए कांग्रेस 52 सीटों पर अपने बोर्ड कैसे बना सकती थी।

एनसीपी के पार्षदों ने कांग्रेस से बागी तेवर दिखाए, जो सत्तारूढ़ दल को छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए और अब उनका राज्य में बीजेपी में विलय हो गया है।

राजनीतिक सूत्रों ने पुष्टि की कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपने बोर्ड बनाने के लिए 90 में से कम से कम 45 इकाइयों में अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं। इस बीच पार्षदों को एक साथ रखा जा रहा है, जहां चेयरपर्सन के मतदान के लिए उन्हें 7 फरवरी तक रहना होगा। 90 में से बीजेपी और कांग्रेस कम से कम छह सीटों पर समान संख्या में हैं और इसलिए क्रॉस वोटिंग का खतरा है। यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने क्रॉस वोटिंग को रोकने के लिए अपने उम्मीदवारों को एक साथ रखा है।

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