Friday, December 20, 2024
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अब तक स्वीकार नहीं हुआ सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा, फीडबैक और मीटिंग के बाद वर्किंग कमेटी लेगी फैसला

सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार (16 नवंबर) को शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, अब तक वर्किंग कमेटी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।

Reported By : Puneet Pareenja Edited By : Shakti Singh Published : Nov 18, 2024 17:13 IST, Updated : Nov 18, 2024 17:32 IST
Sukhbir singh badal
Image Source : PTI सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है

अब तक स्वीकार नहीं हुआ सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा,  वर्किंग कमेटी फीडबैक और मीटिंग के बाद फैसला लेगी कि उनके इस्तीफे को स्वीकार करना है या नहीं। पार्टी की कार्यसमिति की बैठक के बाद तय किया गया है कि अभी और बैठकें होगी, उस पर फैसला लिया जाएगा। पार्टी जल्द ही हल्का इंचार्ज के साथ, जिला अध्यक्ष से फीड बैक लेकर फैसला करेगी। सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार (16 नवंबर) को शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन पर ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार) के आरोप लगे हैं। इसके बाद उसने इस्तीफा मांगा जा रहा है।

सुखबीर सिंह बादल साल 2008 में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष बने थे। पूर्व उपमुख्यमंत्री बादल 2008 में शिअद अध्यक्ष बनाए जाने के दौरान इस पद पर काबिज होने वाले पार्टी के सबसे युवा नेता थे। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर बादल (62) का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की पूर्व प्रमुख बीबी जागीर कौर सहित शिअद के कई बागी नेताओं ने राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर उनसे अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग तेज कर दी है।

शिअद पदाधिकारियों के चुनाव 14 दिसंबर को 

शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि शिअद के पदाधिकारियों के चुनाव 14 दिसंबर को होने हैं और बादल का पांच साल का कार्यकाल अगले महीने पूरा होने वाला है। 18 नवंबर को पार्टी की कार्यसमिति बैठक में बादल के इस्तीफे और पार्टी पदाधिकारियों के आगामी चुनावों के अलावा नये सदस्यता अभियान तथा सर्कल प्रतिनिधियों एवं राज्य प्रतिनिधियों की नियुक्ति के मुद्दे पर चर्चा हुई।  ‘शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर’ के संयोजक गुरप्रताप सिंह वडाला ने बादल के इस्तीफे का स्वागत किया, लेकिन इसे देर से उठाया गया कदम बताया। बादल ने शिअद के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से कुछ दिन पहले अकाल तख्त के जत्थेदार से धार्मिक कदाचार के आरोपों में उन्हें सजा सुनाने का आग्रह किया था। शिअद नेता ने कहा था कि उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किए गए दो महीने से अधिक समय बीत चुका है। बादल ने अपनी “तनखा” (धार्मिक सजा) के एलान के लिए जल्द पांच “सिंह साहिबान” की बैठक बुलाने का भी अनुरोध किया था।

लगातार चुनाव हारने के बाद उठी इस्तीफे की मांग

सुखबीर सिंह बादल को 2012 के पंजाब विधानसभा चुनावों में शिअद की जीत का श्रेय दिया जाता था, लेकिन 2017 में पार्टी के राज्य की कुल 117 विधानसभा सीटों में महज 15 सीटें जीतने और 2022 में उसकी सीटों का आंकड़ा घटकर तीन रह जाने पर बादल के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे। 2024 के लोकसभा चुनावों में शिअद कुल 13 संसदीय सीटों में से महज एक पर जीत हासिल कर सकी। सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 2007 से 2017 तक अकाली दल और उसकी सरकार की ओर से की गई “गलतियों” के लिए बादल को 30 अगस्त को “तनखैया” घोषित किया था। जत्थेदार ने अभी तक बादल के लिए “तनखा” की घोषणा नहीं की है। “तनखैया” घोषित किए जाने के बावजूद बादल राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं।

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