चंडीगढ़: पंजाब में शनिवार को पराली जलाने के 600 से अधिक मामले सामने आए। कई जिलों में किसानों ने अभी भी फसलों के अवशेष जलाने जारी रखे हैं, जिससे खेतों में पराली जलाने की घटनाएं रोकने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हो रही है। हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ और ‘खराब’ श्रेणी में रहा। कई जिलों में जिला पुलिस प्रमुखों और उपायुक्तों ने पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए खेतों का दौरा किया। इसके बावजूद पंजाब में कई किसानों ने पराली जलाना जारी रखा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे सख्त निर्देश
दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को फसल अवशेष जलाने पर तत्काल रोक सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। पंजाब में शनिवार को खेतों में पराली जलाने के 637 मामले सामने आए। इनमें से मोगा में सबसे ज्यादा 120 मामले सामने आए। इसके बाद फाजिल्का में 111, फिरोजपुर में 69, बठिंडा में 57, मुक्तसर में 51, बरनाला में 48 और फरीदकोट में 43 मामले सामने आए। वर्ष 2021 और 2022 में इसी दिन राज्य में पराली जलाए जाने के क्रमशः 680 और 701 मामले सामने आए थे। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार राज्य में पराली जाए जाने के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 33,719 हो गई है।
चंडीगढ़ में 141 रहा एक्यूआई
वहीं हरियाणा के सोनीपत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 390 दर्ज की गई। इसके बाद फतेहाबाद में 340, फरीदाबाद में 314, गुरुग्राम में 301, हिसार में 301, भिवानी में 296, रोहतक में 273 और कैथल में 262 एक्यूआई दर्ज किया गया। पंजाब के बठिंडा में एक्यूआई 329 दर्ज किया गया। पंजाब में इसके बाद जालंधर में 264, पटियाला में 232, लुधियाना में 219, खन्ना में 208, अमृतसर में 195 और रूपनगर में 168 एक्यूआई दर्ज किया गया। पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में एक्यूआई 141 रहा।
(इनपुट: भाषा)
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