पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को तीन टोल प्लाजा को बंद करने ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि इन टोल प्लाजा को अकाली-बीजेपी गठबंधन और कांग्रेस की मिलीभगत से जनता को लूटने के मकसद से बनाया गया था। उन्होंने मजारी (एसबीएस नगर), नंगल शहीदान और मनगढ़ (होशियारपुर) में तीन टोल प्लाजा बंद करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इन टोल प्लाजा को बंद करने से जनता के प्रतिदिन 10.52 लाख रुपये की बचत होगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि इन टोल प्लाजा को करीब 10 साल पहले बंद कर देना चाहिए था, क्योंकि इनकी अवधि समाप्त हो चुकी है, लेकिन पिछली सरकारों ने इन्हें बंद करने के बजाय इनके साथ अवैध रूप से पैसा निकालने का काम किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के नेताओं ने अपने निहित स्वार्थों के लिए लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है।
'पिछली सरकारों ने लोगों के हितों की परवाह नहीं की'
मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली-बीजेपी गठबंधन की पिछली सरकारों और कांग्रेस ने लोगों के हितों की परवाह नहीं की और सरकारी खजाने को लूटा। उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा (अब विपक्ष के नेता) और अकाली दल के परमिंदर सिंह ढींडसा सहित पीडब्ल्यूडी मंत्रियों ने सुखबीर सिंह बादल के साथ मिलकर जनता के पैसे को लूटा।
'निजी हितों के लिए राज्य की जनता को धोखा क्यों दिया'
मुख्यमंत्री ने इन नेताओं को यह बताने की चुनौती दी कि उन्होंने अपने निजी हितों के लिए राज्य की जनता को धोखा क्यों दिया। उन्होंने कहा कि 123.64 करोड़ रुपये की इस परियोजना के तहत राजदीप टोलवेज कंपनी को 104.96 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करना था, जिसके लिए बाजवा ने 6 दिसंबर, 2005 को समझौता किया था।
'कंपनी को सब्सिडी के रूप में 49.45 करोड़ की मदद दी'
भगवंत मान ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सरकार ने कुल परियोजना लागत में से कंपनी को सब्सिडी के रूप में 49.45 करोड़ रुपये की मदद दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कंपनी ने नई सरकार के गठन से पहले 6 मार्च 2007 को तीनों टोल प्लाजा का संचालन किया था। उन्होंने कहा कि कंपनी को 5 मार्च, 2013 तक सड़क पर डामर डालने की परियोजना को पूरा करना था, जो 786 दिनों की देरी से 30 अप्रैल, 2015 को पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि इस देरी के लिए कंपनी पर 61.60 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था, लेकिन शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन सरकार ने इसे वसूलने के बजाय माफ कर दिया।
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