प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 जनवरी 2022 को पंजाब दौरे के दौरान हुई सुरक्षा में चूक के मामले में पंजाब सरकार की अब तक की कार्रवाई से केंद्र सरकार का गृह विभाग नाखुश है। बता दें कि पिछले 9 महीने में दूसरी बार केंद्र सरकार के गृह विभाग ने पंजाब सरकार को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जताई है। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के द्वारा पंजाब के तत्कालीन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, चीफ सेक्रेटरी अनिरुद्ध तिवारी समेत अन्य कई ADGP, IG और SSP रैंक के अधिकारियों को सुरक्षा में चूक मामले में दोषी पाया गया। इसके बावजूद किसी बड़े अधिकारी पर अब तक कोई एक्शन ना होने से केंद्र सरकार का गृह विभाग नाखुश है।
अगर पंजाब सरकार नहीं लेगी एक्शन तो...
बता दें कि पंजाब सरकार ने अब तक इस मामले में पंजाब पुलिस सर्विस कॉडर के अधिकारियों के खिलाफ ही कार्यवाही की है। पंजाब सरकार ने इस मामले में अब तक एक एसपी, दो डीएसपी, समेत कुल 7 पुलिसकर्मियों पर ही कार्यवाही की है। लेकिन IPS रैंक के किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई ना होने से केंद्र सरकार का गृह विभाग असंतुष्ट है। इस चिट्ठी में पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि अगर पंजाब सरकार इस मामले की रिपोर्ट के आधार पर सीनियर आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती तो केंद्र सरकार ऐसे अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेगी क्योंकि अधिकारी आईपीएस कॉडर के हैं।
मार्च में दिया था पंजाब सरकार ने आदेश
बता दें कि इसी साल 20 मार्च को खबर आई थी कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य की यात्रा के दौरान सुरक्षा में सेंध के मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस चट्टोपाध्याय और दो अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। सेवानिवृत्त हो चुके चट्टोपाध्याय के अलावा फिरोजपुर रेंज के तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) इंदरबीर सिंह और फिरोजपुर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) हरमनदीप सिंह हंस के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने पाया था दोषी
गौरतलब है कि जनवरी 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने राज्य के कई अधिकारियों को दोषी ठहराया था। पांच जनवरी 2022 को, फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा मार्ग बाधित किए जाने के कारण प्रधानमंत्री मोदी का काफिला एक फ्लाईओवर पर फंस गया था। उसके बाद वह रैली सहित किसी भी कार्यक्रम में शामिल हुए बिना पंजाब से लौट गए थे। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 12 जनवरी को उल्लंघन की जांच के लिए समिति गठित की थी।
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