टूरिस्ट वीजा पर रूस घूमने गए युवकों को धोखे से सेना में शामिल कर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतारे जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में पंजाबी नौजवानों का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस वीडियो में शामिल नौजवान गगनदीप सिंह जो की गुरदासपुर के गांव डेरीवाल किरण का रहने वाला है। वीडियो वायरल होने के बाद उसके परिवार ने भी मीडिया से बातचीत करते हुए अपने बेटे को वापस भारत बुलाने के लिए केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
24 दिसंबर को गया था घूमने
वहीं, जानकारी देते हुए वायरल वीडियो में शामिल गगनदीप सिंह की माता बलविंदर कौर व पिता बलविंदर सिंह ने कहा कि उनका बेटा गगनदीप 24 दिसंबर को अपने दोस्तों के साथ रशिया घूमने के लिए गया था और कुछ महीने पहले ही फोन आया था कि उन्हें वहां पर पकड़ लिया गया है और रशियन आर्मी ने उन्हें अपनी सेना में भर्ती कर लिया है। उसके बाद उनके बेटे का कभी-कभी ही फोन आता था और थोड़ी बहुत ही बात तो होती थी लेकिन सोशल मीडिया पर उनके बेटे का एक वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें पता चला है कि उनके बेटे को रशियन आर्मी में भर्ती कर लिया गया है। साथ ही उन्हें युद्ध लड़ने के लिए यूक्रेन भेजा जा रहा है।
कई दस्तावेजों पर कराए सिग्नेचर
परिवार का कहना है कि बेलारूस में जिन दस्तावेजों पर उनसे हस्ताक्षर कराए गए वे रूसी भाषा में थे। इसमें कहा गया था कि या तो वे 10 साल की कैद स्वीकार करें या रूसी सेना में शामिल हो जाएं, साथ ही उन्हें 15 दिनों की मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी गई है। गगनदीप सिंह के परिवार ने विदेश मंत्रालय से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही कहा कि उनके बेटे को जल्द से जल्द भारत लाया जाए। उन्होंने कहा कि आज भारतीय दूतावास का उन्हें फोन आया था और सारी जानकारी उन्होंने हासिल की है और उनके बेटे को जल्द से जल्द भारत लाने का आश्वासन दिया है।
वायरल हुआ वीडियो
वहीं, एक्स पर वायरल वीडियो में सबसे आगे छोटे कद्द का लड़का गगनदीप सिंह है और उसके पास खड़ा लड़का पूरी कहानी बयां कर रहा है। उसके अनुसार वह साथियों के साथ 27 दिसंबर को नया साल मनाने के लिए रूस के लिए रवाना हुआ था। उन्होंने रूस का 90 दिनों का वीजा लिया था। वहां एक एजेंट ने उन्हें बेलारूस ले जाने की पेशकश की। वे सभी बिना वीजा के बेलारूस चले गए क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि वहां का वीजा लेना पड़ता है। वहां उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया और रूसी अधिकारियों को सौंप दिया गया। रूसी अधिकारियों ने उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करा लिए और अब उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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