Wednesday, December 11, 2024
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सरकार से बातचीत का नहीं मिला न्योता, इस दिन दिल्ली कूच करेंगे किसान

किसान नेताओं का कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से बातचीत का कोई न्योता नहीं आया है, लिहाजा अब 14 दिसंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा।

Reported By : Puneet Pareenja Edited By : Malaika Imam Published : Dec 10, 2024 17:18 IST, Updated : Dec 10, 2024 17:39 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसान नेताओं का कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से बातचीत का कोई न्योता नहीं आया है, लिहाजा अब 14 दिसंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा। 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि अब हमलोग 14 दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। हमारे प्रदर्शन को 303 दिन पूरे हो चुके हैं और किसानों का आमरण अनशन भी 15वें दिन पर पहुंच गया है। हमने हमेशा बातचीत का स्वागत किया है, लेकिन सरकार की ओर से किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया।

पहले भी मार्च की कोशिश 

इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों के जत्थे ने 6 और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली जाने की दो कोशिशें की थीं, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इस दौरान किसानों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव जैसी स्थिति बनी, जिसके बाद किसानों को पीछे धकेलने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान कई किसान घायल भी हुए।

क्या है किसानों की मांग?

सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों ने इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था। फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है।

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