चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी (आप) के बागी विधायक बलदेव सिंह ने बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर ‘‘अपनी मूल विचारधारा और सिद्धांतों को छोड़ने’’ और पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर ‘‘तानाशाही और अभिमानी’’ होने का आरोप लगाया। पंजाब के जैतो से विधायक बलदेव ने केजरीवाल को अपना इस्तीफा सौंपा। वह भोलाथ से विधायक सुखपाल सिंह खैरा और एचएस फूलका के बाद पार्टी छोड़ने वाले तीसरे विधायक हैं।
सुखपाल सिंह खैरा ने छह जनवरी को जबकि वरिष्ठ वकील एच एस फूलका ने तीन जनवरी को पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, खैरा ने विधायक के तौर पर त्यागपत्र नहीं दिया है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व को चुनौती दी है कि वह उन्हें दल बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहरवाएं। इससे इतर उन्होंने मादक पदार्थ के मुद्दे पर अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने को लेकर भी केजरीवाल पर हमला किया।
केजरीवाल को लिखे पत्र में बलदेव सिंह ने कहा, ‘‘आप की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए काफी दुखी हूं क्योंकि पार्टी ने अपनी मूल विचारधारा और सिद्धांतों को पूरी तरह छोड़ दिया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘आपकी तानाशाही, अभिमान और काम करने के निरंकुश तरीके की वजह से ही प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, किरण बेदी, डॉ गांधी, एच एस खालसा, सुचा सिंह छोटेपुर, गुरप्रीत घुग्गी, आशीष खेतान, आशुतोष, एच फूलका जैसे आप के दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ दी या उन्हें अपमानजनक तरीके से निकाल दिया गया।’’
बलदेव सिंह ने कहा, ‘‘इन दुखद घटनाओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैंने आप की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया।’’ बलदेव सिंह के इस्तीफे से पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद पर फिलहाल कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है। ये पद आप के पास है। विधानसभा में आप के 20 विधायक हैं जिनमें छह बागी भी शामिल हैं। 14 विधायक पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ हैं।
‘आप’ के सुखपाल सिंह खैरा को पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से हटाए जाने के बाद बलदेव सिंह सहित कई नेता उनकी तरफ हो गए थे। उन्होंने खैरा के राजनीतिक दल पंजाबी एकता पार्टी के शुभारंभ कार्यक्रम में भी शिरकत की थी। उन्होंने केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ पंजाब में हम लोग तब स्तब्ध रह गए जब आप ने अचानक और अलोकतांत्रिक तरीके से एक ईमानदार सुखपाल सिंह खैरा को विपक्ष के नेता के पद से हटा दिया। ऐसा करने के लिए आपने पंजाब के विधायकों को विश्वास में भी नहीं लिया।’’