डीगढ़ मेयर चुनाव क्या नए सिरे से कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से इस बात की अटकलें और तेज हो गई हैं। इस चुनाव में कथित गड़बड़ी से नाराज प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अदालत इस प्रकार से लोकतंत्र की हत्या नहीं करने देगी। शीर्ष अदालत चुनावी प्रक्रिया की शुचिता से संतुष्ट नहीं होने पर नये सिरे से चुनाव कराने का आदेश देगी। कोर्ट ने पूछा कि निर्वाचन अधिकारी एक अधिकारी हैं या भगोड़ा।
19 फरवरी को पेशी पर कोर्ट ने बुलाया
शीर्ष अदालत ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव मामले में 19 फरवरी को अगली सुनवाई के दौरान उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश देने के अलावा मतपत्रों और चुनाव कार्यवाही के वीडियो को संरक्षित करने का भी आदेश दिया। चीफ जस्टिस ने पीठासीन अधिकारी के बर्ताव पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस व्यक्ति (पीठासीन अधिकारी) पर केस चलना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल ने रखी प्रशासन की बात
चंडीगढ़ के अधिकारियों की ओर से न्यायालय में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, न्यायालय के पास तस्वीर का केवल एक पहलू है। चुनिंदा रूप से कही गई किसी बात के आधार पर कोई राय न बनाएं।
आप पार्षद ने दाखिल की है याचिका
कोर्ट ने यहा आदेश महापौर का चुनाव हारने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद कुलदीप कुमार की उस याचिका पर गौर करने के बाद दिया, जिसमें कहा गया था कि निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस-आप गठबंधन के पार्षदों के आठ मत पत्रों पर निशान लगाते हुए उन्हें अमान्य करार दिया।
बीजेपी सभी तीनों पद जीत गई थी
बता दें कि चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर का चुनाव 30 जनवरी को हुआ था। वोटों की गिनती में विपक्ष के 8 वोट इनवैलिड हो गए थे। इसलिए बीजेपी चुनाव जीत गई थी। बीजेपी सभी तीनों पद जीत गई थी। महापौर पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया था। सोनकर को 16, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कुमार को 12 वोट मिले थे। वहीं, आठ वोट को अवैध घोषित कर दिया गया था।