चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर जमकर निशाना साधा। मान ने कहा कि सिखों के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को ढाल के रूप में पुलिस थाने ले जाने वालों को पंजाब का ‘वारिस’ नहीं कहा जा सकता। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने लवप्रीत सिंह की रिहाई को लेकर गुरुवार को अजनाला पुलिस थाने पर धावा बोल दिया था। उनके समर्थकों ने बैरिकेड तोड़ दिये थे और धाने में जमकर हंगामा किया था।
लवप्रीत सिंह ‘तूफान’ की रिहाई की मांग कर रहे थे समर्थक
थाने पर धावा बोलने के दौरान कुछ समर्थकों के हाथों में तलवारें और बंदूकें थीं। समर्थक मांग कर रहे थे कि अमृतपाल सिंह के सहयोगी लवप्रीत सिंह उर्फ ‘तूफान’ को रिहा किया जाए। अमृतपाल को एक कट्टर खालिस्तान समर्थक के रूप में बताया जाता है और वह ‘वारिस पंजाब दे’ नाम के एक संगठन का प्रमुख है। इस संगठन की स्थापना पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने की थी और उसकी मौत के बाद अमृतपाल इसका प्रमुक बना था। उसके समर्थक थाने में ‘अमृत संचार’ आयोजित करने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति ले जाने वाली गाड़ी लाए थे।
‘उन्हें पंजाब और पंजाबियत का 'वारिस' नहीं कहा जा सकता है’
भगवंत मान ने एक ट्वीट में कहा, ‘जो लोग गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल के रूप में पुलिस थानों में ले जाते हैं, उन्हें किसी भी तरह से पंजाब और पंजाबियत का 'वारिस' नहीं कहा जा सकता है।’ अजनाला की एक अदालत ने लवप्रीत सिंह को रिहा करने का आदेश दिया था और इसके कुछ घंटे बाद उसे अमृतसर केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया था। रिहाई के बाद ‘तूफान’ ने जमकर नारेबाजी की थी और खुद को बेकसूर बताया था। वहीं, अमृतपाल सिंह ने अपने ताजा बयान में कहा है कि लोकतंत्र में खालिस्तान की मांग गलत नहीं है।
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