संगरूर: पंजाब सरकार की ओर से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने का दावा जरूर किया जाता है। हालांकि, हकीकत कुछ और ही है। कई ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जो भगवान भरोसे चल रहे हैं। सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही की कई कहानियां हैं। ताजा मामला संगरूर जिले के सरकारी अस्पताल से सामने आया है, जहां एक युवक पीलिया का इलाज कराने के लिए भर्ती हुआ था, लेकिन जांच के बाद पता चला कि उसे पीलिया है ही नहीं और उसकी दोनों किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं।
इसके बाद युवक ने अपने सैंपल की जांच दूसरी प्रयोगशाला से कराई। इस दौरान उसकी दोनों किडनी सामान्य पाई गई और पीलिया होने के बात सामने आई।
डॉक्टरों ने मेरी जिंदगी से खिलवाड़ किया- पीड़ित
युवक ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने मेरी जिंदगी से खिलवाड़ किया है। अगर मैं समय पर अपनी रिपोर्ट अपने दोस्त को नहीं दिखाता तो सरकारी अस्पताल के डॉक्टर किडनी फेल होने का इलाज करने लगते और मेरी जान जा सकती थी।" मीडिया ने इस संबंध में जब सिविल अस्पताल के डॉक्टरों से बात करनी चाही तो डॉक्टरों ने बात करने से इनकार कर दिया।
सिक्योरिटी गार्ड कर रहे मरीजों का इलाज
बता दें कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से सरकारी लापरवाही का ऐसा ही एक मामला सामने आया था। शहडोल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालत बद से बदतर हैं। आलम ये है कि करोड़ों की लागत से आलीशान अस्पताल तो बन गए हैं, लेकिन डॉक्टर नही हैं। ऐसे में दूर-दराज से इलाज कराने आए मरीजों का अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड ही इलाज कर दे रहे थे। छत्तीसगढ़ बॉर्डर के पास झिकबिजुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं होने से मरीजों का इलाज सिक्योरिटी गार्ड कर रहे थे। आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभागीय मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर जिले के अंतिम छोर पर झिकबिजुरी में करोड़ों की लागत से आलीशान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया, लेकिन दुर्भाग्य से यहां एक भी डॉक्टर नहीं था।
(IANS इनपुट्स के साथ)
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