Saturday, November 23, 2024
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किसान आंदोलन के चलते 85 ट्रेनें रद्द, 230 के रूट बदले, पंजाब में कैद हुए यूपी-बिहार के मजदूर

रेलवे अधिकारी के अनुसार किसान आंदोलन की वजह से अब तक 500 ट्रेनें प्रभावित हो सकी हैं। 230 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं और 85 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। वहीं, 22 ट्रेनें ऐसी हैं, जिन्हें आधे रास्ते रद्द किया गया या उनका रूट छोटा कर दिया गया।

Edited By: Shakti Singh
Published on: April 20, 2024 14:31 IST
Ambala Cant Station- India TV Hindi
Image Source : X अंबाला कैंट स्टेशन पर भीड़

किसानों का रेल रोको आंदोलन अब विकराल रूप लेता जा रहा है। लगातार चार दिन से किसान आंदोलन पर बैठे हैं। किसानों की मांग है कि आंदोलन के दौरान उनके जिन साथियों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें रिहा किया जाए। जेल में बंद किसानों की रिहाई को लेकर शंभू रेलवे स्टेशन के नजदीक किसानों ने रेल ट्रैक जाम कर दिया है। यह रेल ट्रैक चार दिन से जाम है। इस वजह से अंबाला रेल मंडल से गुजरने वाली 85 मेल एक्सप्रेस ट्रेनों को रद्द किया है 22 मेल एक्सप्रेस को शार्ट ट्रमिनेट किया है तो 230  ट्रेनों के रूट बदले है। 

रेलवे अधिकारी के अनुसार कुल 500 ट्रेनें इस आंदोलन से प्रभावित हुई है। प्रभावित हो रही ट्रेनों कि संख्या लगातार बढ़ रही है। इस समय यूपी-बिहार और अन्य राज्यों से पंजाब जाने वाले मजदूर कटाई खत्म करके अपने घर वापस लौटते हैं, लेकिन रेल ट्रैक जाम होने के कारण ये लोग वापस नहीं आ पा रहे हैं। कई मजदूर रेलवे स्टेशन में ही कैद होकर रह गए हैं। 

आम लोगों को हो रही परेशानी

ट्रेनों के रद्द होने से आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बड़ी संख्या में लोगों को प्लेटफॉर्म पर ही सोते हुए देखा जा सकता है। कई लोग घंटो से रेल का इंतजार कर रहे हैं। अंबाला रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ लग गई है, ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह से सफर कर रहे कई यात्रियों की ट्रेन बीच रास्ते में रद्द कर दी गई। आलम ये है की स्टेशन पर लोगों को बैठने की जगह नहीं मिल रही है।

क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?

केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हो रहे बदलावों से किसान खुश नहीं थे। इस वजह से आंदोलन की शुरुआत हुई। पहले सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान सड़क पर थे, लेकिन बाद में अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए और सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा। इसके बाद किसानों का आंदोलन रुका, लेकिन कुछ समय बाद फिर किसान सड़कों पर आ गए। किसानों की मांग उन किसानों को जेल से छोड़ने की है, जिन्हें आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाएं। किसानों का कर्ज माफ किया जाए और आंदोलन में जिन किसानों की जान गई है। उनके परिवार को मुआवजा देने के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी भी दी जाए।

(अंबाला से कृष्ण बाली की रिपोर्ट)

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