थोक महंगाई दर जनवरी में ढाई साल के उच्चतम स्तर 5.25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसके बाद भारतीय उद्योग जगत ने ब्याज दरों को कम करने की मांग की है।
जनवरी में थोक महंगाई दर बढ़कर 30 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर के मुकाबले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी से बढ़कर 5.25 फीसदी हो गई।
देश की थोक मूल्य कीमतों पर आधारित वार्षिक महंगाई दर दिसंबर 2016 में बढ़कर 3.39 फीसदी रही है। नवंबर माह में यह दर 3.15 फीसदी थी।
आगामी सप्ताह भारतीय शेयर बाजार की दिशा बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों तथा आगामी बजट से निवेशकों की उम्मीदों से तय होगी।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) अगस्त में बढ़कर 3.74 फीसदी पर पहुंच गई, जो इसका दो साल का उच्चस्तर है। इस दौरान आलू और दाल में तेजी आई।
विशेषज्ञों का मानना है कि छुट्टियों के कारण कम कारोबारी सत्र वाले चालू सप्ताह के आईआईपी और महंगाई दर जैसे बड़े आंकड़े शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे।
सब्जियों, दालों और चीनी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर भी जुलाई माह में तेजी से बढ़ती हुई 3.55 फीसदी पर पहुंच गई।
इस सप्ताह के दौरान भारतीय शेयर बाजार को थोक महंगाई के आंकड़ों, मानसून की स्थिति और विदेशी निवेशकों के निवेश के रूख से दिशा मिलेगी।
मंडियों में आवक कम होने से सब्जियों के दाम पिछले तीन-चार महीने में 100 प्रतिशत तक चढ़ गए हैं। थोक और खुदरा बाजार में भारी अंतर हैं।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी एचएसबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में रिटेल महंगाई दर अगले दो महीने में छह फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगाया है।
देश में महंगाई की आग और भड़कने लगी है। जून में थोक वस्तुओं की महंगाई दर में जोदार इजाफा हुआ है। यह पिछले महीने 1.62 फीसदी पहुंच गई।
खाने पीने की वस्तुओं के आसमान छूते दाम के बीच मई में थोक महंगाई दर में जोरदार इजाफा हुआ है। मई में थोक महंगाई की दर बढ़कर 0.79 फीसदी पर पहुंच गई।
शेयर बाजार की दिशा महंगाई दर के आंकड़े, मानसून की चाल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक सहित प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम इस हफ्ते निर्धारित करेंगे।
अप्रैल में थोक अधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) (-)0.85 फीसदी से बढ़कर 0.34 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले रिटेल महंगाई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
प्रमुख कंपनियों के तिमाही वित्तीय नतीजे, थोक मूल्य महंगाई के आंकड़े और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे शेयर बाजार की दिशा को तय करेंगे।
मार्च में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर शून्य से 0.85 फीसदी प्रतिशत नीचे रही, जो कि फरवरी में शून्य से 0.91 प्रतिशत कम थी।
खाने-पीने की चीजों के दाम में बढ़ोतरी की रफ्तार कम होने से रिटेल महंगाई दर घटी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित रिटेल महंगाई फरवरी में 5.18 फीसदी रही।
फरवरी में थोक महंगाई दर -0.9 फीसदी पर स्थिर रही। यह लगातार 16वां महीना जब थोक महंगाई दर शून्य के नीचे रही है। जनवरी में महंगाई दर शून्य से 0.90% नीचे थी।
थोक महंगाई दर में मामूली गिरावट देखने को मिली है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में थोक महंगाई दर शून्य से 0.90 फीसदी नीचे रही
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