थोक महंगाई दर मे जनवरी के दौरान दिसंबर के मुकाबले 1.77 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। खादय् पदाथों की कीमतों में 2.99 प्रतिशत और गैर खाद्य पदाथों की कीमत में 0.43 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है
खाने-पीने की वस्तुओं की थोक कीमत नवंबर में 3.94 प्रतिशत बढ़ी, जबकि इससे पिछले महीने यह आंकड़ा 6.37 प्रतिशत था।
माह के दौरान सब्जियों और आलू में कीमत वृद्धि सबसे ज्यादा क्रमश: 25.23 प्रतिशत और 107.70 प्रतिशत रही। गैर-खाद्य पदार्थों और खनिजों में मुद्रास्फीति भी क्रमश: 2.85 प्रतिशत और 9.11 प्रतिशत रही।
सितंबर में सब्जियों की महंगाई दर सबसे उच्च स्तर 36.54 प्रतिशत रही। इस दौरान आलू की कीमत एक साल पहले की तुलना में 107.63 प्रतिशत बढ़ी है।
अगस्त के दौरान खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 3.84 प्रतिशत रही। आलू की कीमतों में 82.93 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
जुलाई महीने के लिए प्राइमरी आर्टिकल्स में मुद्रास्फीति 0.63 प्रतिशत बढ़ी है और साथ ही मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में भी यह 0.51 प्रतिशत बढ़ी है।
मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल के लिए थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर 1.57 प्रतिशत रही।
देश में 25 मार्च 2020 से लॉकडाउन लागू कर दिए जाने से आंकड़ों के संकलन पर भी असर पड़ा है।
पिछले महीने लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत देखने को मिली है। थोक महंगाई दर फरवरी में घटकर 2.26 फीसदी पर आ गई। इससे पहले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.10 फीसदी दर्ज की गई थी।
थोक महंगाई दर के जारी आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े शुक्रवार को जारी किए गए।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो इसका पांच साल का उच्चस्तर है।
खुदरा मुद्रास्फीति जून में छह माह के उच्च स्तर पर 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गई।
मई में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति जुलाई 2017 के बाद सबसे कम है। जुलाई 2017 में थोक मुद्रास्फीति 1.88 प्रतिशत थी।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में आठ महीने के निचले स्तर पर जाकर 3.80 प्रतिशत रही।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर पर जाकर नवंबर में 4.64 प्रतिशत पर रही।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 5.28 प्रतिशत रही, जो पिछले 4 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है।
जून में चार साल के उच्च स्तर को छूने के बाद जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर में गिरावट आई है और यह 5.09 फीसदी रही।
देश के थोक महंगाई दर (WPI) में जून महीने में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है। जून में यह चार साल के उच्चतम स्तर 5.77 फीसदी पर रही जबकि मई में यह 4.43 फीसदी थी। अगर हम पिछले वर्ष के समान महीने की बात करें तो यह 0.90 फीसदी थी।
पेट्रोल-डीजल तथा सब्जियों के दाम बढ़ने से मई महीने में थोक मूल्य आधारित महंगाई दर (WPI) बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुंच गयी। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर इस साल अप्रैल महीने में 3.18 प्रतिशत तथा पिछले साल मई महीने में 2.26 प्रतिशत थी।
हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से फ्यूल एंड पावर बास्केट की महंगाई दर फरवरी के 3.81 प्रतिशत से बढ़कर 4.70 प्रतिशत हो गई है।
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