लेकिन चालू वित्तवर्ष 2017-18 में अप्रैल से अगस्त तक हुए कुल निर्यात को देखें तो इस साल 30 फीसदी अधिक प्याज एक्सपोर्ट हुआ है
वैश्विक खाद्य सम्मेलन वर्ल्ड फूड इंडिया में कंपनियों की ओर से देश के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 11.25 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
प्याज का भाव थोक मार्केट में जहां 2 साल के ऊपरी स्तर तक पहुंच गई हैं वहीं रिटेल मार्केट में इसका कीमतें 50 रुपए किलो तक पहुंच गई हैं।
मंगलवार को राजधानी दिल्ली में प्याज का रिटेल भाव 38 रुपए और उत्तर प्रदेश के आगरा में भाव 40 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया
खुदरा एवं थोक महंगाई दर में जुलाई माह में वृद्धि हुई और आने वाले महीनों में इसमें और वृद्धि आ सकती है। मोर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई है।
थोक मूल्य आधारित महंगाई दर में पांच महीने के बाद पहली बार इजाफा देखने को मिला है। इसकी प्रमुख वजह खाने-पीने की चीजों की कीमतों का बढ़ना है।
प्याज की कीमतें आज महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में दो गुना से ज्यादा बढ़कर 26 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज की थोक मंडी है
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर जून में घटकर 0.9 प्रतिशत रही। शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
सरकार का कहना है कि GST की वजह से शुरुआती दिनों में कारोबारियों के सामने संभावित दिक्कतों का चीनी की आपूर्ति तथा उसकी कीमतों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 5 महीने के निचले स्तर 2.17% पर आ गई। मुख्यतौर पर सब्जियों के दाम घटने से मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है।
सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का आधार वर्ष बदलकर 2011-12 कर दिया है। इनके लिए पहले आधार वर्ष 2004-05 था।
मार्च महीने में थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है। यह फरवरी महीने के मुकाबले 6.55 फीसदी से गिरकर 5.70 फीसदी पर आ गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को होलसेल एंड लांग-टर्म फाइनेंस बैंक (WLTF) का प्रस्ताव पेश करते हुए इसके लिए डिस्कशन पेपर भी जारी किया है।
देश में खुदरा मुद्रास्फीति दर फरवरी के दौरान बढ़कर 3.65 प्रतिशत पर पहुंच गई। ऐसा खाद्य और ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि की वजह से हुआ है।
महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को बड़ा झटका लगा है। फरवरी में थोक महंगाई दर (WPI) 6.55 फीसदी पहुंच गई, जो लगभग 39 महीनें का उच्चतम स्तर है।
देश की थोक मूल्य कीमतों पर आधारित वार्षिक महंगाई दर दिसंबर 2016 में बढ़कर 3.39 फीसदी रही है। नवंबर माह में यह दर 3.15 फीसदी थी।
प्याज की थोक कीमतों पर अंकुश लगाने तथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर दी जा रही रियायतें तीन महीने के लिए बढ़ा दी
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में आन वाले समय में 0.25 प्रतिशत की और कटौती का मौका मिल सकता है। यह अनुमान एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में जताया गया है।
अक्टूबर में थोक मुद्रास्फीति की दर घटकर 3.39 प्रतिशह रही, यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है।
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