मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के निर्माण, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति पिछले महीने 1.26 प्रतिशत थी।
पीपीआई ग्लोबल लेवल पर वस्तुओं और सेवाओं दोनों में मूल्य आंदोलनों को ट्रैक करता है। पीपीआई किसी निर्माता को घरेलू बाजार/निर्यात में बेची गई अपनी वस्तुओं/सेवाओं के लिए प्राप्त होने वाली कीमत में औसत परिवर्तन को मापता है।
थोक महंगाई में गिरावट की एक प्रमुख वजह निर्माण वस्तुओं के अलावा ईंधन और बिजली की कीमतों में गिरावट को बताया गया है। बेस्ड महंगाई में गिरावट का यह लगातार नौवां महीना है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी के 2.26 प्रतिशत के मुकाबले मार्च में गिरकर एक प्रतिशत रह गई।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर नवंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.58 प्रतिशत महंगाई दर रही। बीते तीन महीने में पहली बार इजाफा हुआ है।
गैर-खाद्य सामग्रियों की कीमतें कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर 0.33 प्रतिशत पर आ गई।
अगस्त 2019 में भारत की थोक महंगाई दर बिना किसी बदलाव के 1.08% पर बरकरार है। सोमवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आंकड़े जारी दिए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, एक साल पहले की समान अविध यानी, अगस्त 2018 में थोक महंगाई दर 4.62 फीसदी थी।
मई महीने की तुलना में थोक मुद्रास्फीति दर जून में कम रही। थोक मुद्रास्फीति जून में कमी के साथ 2.02 प्रतिशत पर रही।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल लगातार मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा और आगे भी सरकार इस पर अंकुश बनाये रखेगी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में पिछले पांच वर्ष से लगातार गिरावट आ रही है।
फरवरी महीने में थोक मुद्रास्फीति 2.93 प्रतिशत तथा पिछले साल मार्च महीने में 2.74 प्रतिशत रही थी। मार्च 2019 के दौरान खाद्य पदार्थों और सब्जियों के दाम में तेजी देखने को मिली।
आम लोगों पर पड़ रही महंगाई का असर अब आंकड़ों में भी दिखाई देने लगा है। सितंबर में थोक मल्य सूचकांक 5.13% (अनुमानित) पर पहुंच गया।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से देशभर में महंगाई बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के दौरान थोक महंगाई दर (WPI) 4 महीने के ऊपरी स्तर पर दर्ज की गई है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 5 महीने के निचले स्तर 2.17% पर आ गई। मुख्यतौर पर सब्जियों के दाम घटने से मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है।
सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का आधार वर्ष बदलकर 2011-12 कर दिया है। इनके लिए पहले आधार वर्ष 2004-05 था।
मार्च महीने में थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है। यह फरवरी महीने के मुकाबले 6.55 फीसदी से गिरकर 5.70 फीसदी पर आ गई है।
देश में खुदरा मुद्रास्फीति दर फरवरी के दौरान बढ़कर 3.65 प्रतिशत पर पहुंच गई। ऐसा खाद्य और ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि की वजह से हुआ है।
महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को बड़ा झटका लगा है। फरवरी में थोक महंगाई दर (WPI) 6.55 फीसदी पहुंच गई, जो लगभग 39 महीनें का उच्चतम स्तर है।
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