अगस्त, 2024 में लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई दर काबू में रही। अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी रही।
जुलाई में होलसेल प्राइस इंडेक्स में दर्ज की गई गिरावट इस महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप रही। इस हफ्ते की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 5 साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर आ गई।
मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के निर्माण, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति पिछले महीने 1.26 प्रतिशत थी।
पीपीआई ग्लोबल लेवल पर वस्तुओं और सेवाओं दोनों में मूल्य आंदोलनों को ट्रैक करता है। पीपीआई किसी निर्माता को घरेलू बाजार/निर्यात में बेची गई अपनी वस्तुओं/सेवाओं के लिए प्राप्त होने वाली कीमत में औसत परिवर्तन को मापता है।
थोक महंगाई में गिरावट की एक प्रमुख वजह निर्माण वस्तुओं के अलावा ईंधन और बिजली की कीमतों में गिरावट को बताया गया है। बेस्ड महंगाई में गिरावट का यह लगातार नौवां महीना है।
ससे पहले थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 12.41 फीसदी और पिछले साल सितंबर में 11.80 फीसदी थी। इस साल थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मई में 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया था। जिसके बाद से पिछले 4 महीनों में इसमें गिरावट दर्ज की गई है।
सरकार के इस फैसले से 2.5 करोड़ से अधिक व्यापारियों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एमएसएमई (MSME) को देश के इकोनॉमिक ग्रोथ का इंजन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
प्राइमरी आर्टिकल, फ्यूल और पावर, मैन्य़ूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और खाद्य पदार्थों सभी मुख्य सेग्मेंट में महंगाई दर में बढ़त देखने को मिली है।
देश में 25 मार्च 2020 से लॉकडाउन लागू कर दिए जाने से आंकड़ों के संकलन पर भी असर पड़ा है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी के 2.26 प्रतिशत के मुकाबले मार्च में गिरकर एक प्रतिशत रह गई।
पिछले महीने लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत देखने को मिली है। थोक महंगाई दर फरवरी में घटकर 2.26 फीसदी पर आ गई। इससे पहले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.10 फीसदी दर्ज की गई थी।
थोक महंगाई दर के जारी आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े शुक्रवार को जारी किए गए।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर नवंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.58 प्रतिशत महंगाई दर रही। बीते तीन महीने में पहली बार इजाफा हुआ है।
चेन्नई में गुरुवार को प्याज का अधिकतम थोक भाव 10,000 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जबकि औसत थोक भाव 9500 रुपए था।
प्याज की आवक बढ़ने और आयात से कीमतों पर नियंत्रण रखने के सरकार के फैसले के बाद बुधवार को प्याज के थोक दाम में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन खुदरा में लोग 100 रुपए प्रति किलो प्याज खरीद रहे थे।
वहीं दूसरी ओर थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर 0.33 प्रतिशत पर आ गई।
गैर-खाद्य सामग्रियों की कीमतें कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर 0.33 प्रतिशत पर आ गई।
बीते 10 दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में टमाटर का दाम डेढ़ गुना बढ़ गया है जबकि एक पखवाड़े में टमाटर का भाव दोगुने से भी ज्यादा हो गया है। दिल्ली में लोगों को एक किलो टमाटर के लिए 80 रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे है, जबकि एक पखवाड़े पहले दिल्ली में टमाटर 30-40 रुपए किलो मिल रहा था।
अगस्त 2019 में भारत की थोक महंगाई दर बिना किसी बदलाव के 1.08% पर बरकरार है। सोमवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आंकड़े जारी दिए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, एक साल पहले की समान अविध यानी, अगस्त 2018 में थोक महंगाई दर 4.62 फीसदी थी।
प्याज के प्रमुख उत्पादक प्रदेशों में हुई भारी बारिश के कारण फसल खराब होने की आशंका से प्याज के दाम में तेजी देखी जा रही है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में पिछले 10 दिनों में प्याज के दाम में 10 रुपये प्रति किलो का इजाफा हो गया है।
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