देश में अगले महीने से नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं और उसके बाद दिवाली का त्योहार है, त्योहारी मौकों पर देश में वनस्पति तेल की खपत बढ़ जाती है
केरल में 1924 के बाद आई सबसे भयानक बाढ़ से पैदा हुई भीषण त्रासदी से सब्जियों की भारी किल्लत हो गई है, जिसके कारण कीमतों में काफी इजाफा हो गया है।
उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है। खुदरा महंगाई दर (CPI) जुलाई में 4.17 फीसदी रही। इससे पिछले महीने में यह 4.90 फीसदी थी।
देशभर में ट्रक हड़ताल ही वजह से हो रही परेशानी के बावजूद राहत की बात ये है कि इससे महंगाई नहीं बढ़ी है। बीते 2 दिन के दौरान रोजमर्रा के इस्तेमाल की अधिकतर चीजों के दाम या तो स्थिर हैं या फिर कुछेग जगहों पर बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है। कई जगहों पर तो रोजमर्रा के इस्तेमाल की कुछेक जरूरी चीजो के दाम बढ़ने के बजाय घटे हैं। हड़ताल 20 जुलाई को शुरू हुई थी और आधिकारिक तौर पर अभी खत्म नहीं हुई है।
तिलहन किसानों को उनकी फसल का जायज भाव दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने वनस्पति तेलों के आयात पर जो लगाम लगाई है उसका असर दिखने लगा है, जून के दौरान देश में खाद्य तेल आयात 25 महीने के निचले स्तर पर दर्ज किया गया है। तेल-तिलहन उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टक्स एसोसिएशन (SEA) की तरफ से जारी किए गए आंकड़ो से यह जानकारी निकलकर आई है।
खाने के तेल के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ गई है, तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट हटाने के बाद अब सरकार ने गैर पाम खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार ने घरेलू तिलहन उत्पादकों और तेल उत्पादकों के हितों के संरक्षण के लिए क्रूड और रिफाइंड गैर पाम खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
केंद्र सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए वनस्पति तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट खत्म कर दी है जिससे खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। स्टॉक लिमिट खत्म होने के बाद अब व्यापारी अपनी मर्जी के मुताबिक तेल और तिलहन का स्टॉक रख सकेंगे और ज्यादा स्टॉक रखने पर उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी
पेट्रोल-डीजल तथा सब्जियों के दाम बढ़ने से मई महीने में थोक मूल्य आधारित महंगाई दर (WPI) बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुंच गयी। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर इस साल अप्रैल महीने में 3.18 प्रतिशत तथा पिछले साल मई महीने में 2.26 प्रतिशत थी।
केंद्र सरकार ने देश में वनस्पति तेल आयात को काबू करने के लिए जो उपाय किए थे वह सभी असफल होते नजर आ रहे हैं। तमाम उपायों के बावजूद वनस्पति तेल आयात घटने के बजाय बढ़ रहा है। अप्रैल के दौरान देश में वनस्पति तेल आयात 7 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है। सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए वनस्पति तेल आयात कम करने के लिए तेल और तिलहन पर भारी आयात शुल्क लगाया था।
देश में खाने के तेल की जरूरत आयात से पूरी होती है, ऐसे में आयात घटने की वजह से खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका हो गई है
केंद्र सरकार ने किसानों की तिलहन का अच्छा दाम दिलाने के लिए सभी वनस्पति तेल और तिलहन पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी लेकिन इसके बावजूद आयात बढ़ा है
आयात शुल्क से सरकार को जो कमाई होगी उसके कुछ हिस्से का इस्तेमाल तिलहन विकास फंड के तौर पर इस्तेमाल करने की मांग
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई नवंबर में बढ़कर 3.93 प्रतिशत पर पहुंच गई है। प्याज और अन्य सब्जियों के दाम बढ़ने से महंगाई में इजाफा हुआ है।
वनस्पति तेल पर आयात शुल्क बढ़ने के बावजूद नवंबर में 7 प्रतिशत ज्यादा वनस्पति तेल का आयात हुआ है
अक्टूबर में खत्म हुए ऑयल वर्ष 2016-17 के दौरान देश में 150.77 लाख टन खाने के तेल का आयात हुआ है जो अबतक का सबसे अधिक वार्षिक आयात है
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति आगामी महीनों में और नीचे आएगी। 2018 में यह औसतन 2.8 प्रतिशत पर रहेगी। नोमूरा ने यह अनुमान जताया गया है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट लगाने के अधिकार से सितंबर 2018 तक अधिकृत कर दिया है
थोक मूल्य आधारित महंगाई दर में पांच महीने के बाद पहली बार इजाफा देखने को मिला है। इसकी प्रमुख वजह खाने-पीने की चीजों की कीमतों का बढ़ना है।
सरकार ने आज यह स्पष्ट किया कि धार्मिक संस्थानों द्वारा संचालित अन्न क्षेत्र में दिए जाने वाले मुफ्त भोजन को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि एक जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू हो जाने के बाद खाद्यान्न, आटा, दूध, सब्जियां और फल पांच प्रतिशत तक सस्ते हो जाएंगे।
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