भारत सरकार ने नेशनल वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन प्लान तैयार किया है और देशवासियों को कोरोना वायरस की वैक्सीन देने के लिए 50,000 करोड़ रुपए का एक अलग फंड बनाया है।
सिप्ला के वितरण नेटवर्क के जरिये इस किट की देशभर में आपूर्ति सुनियोजित तरीके से होगी।Cipla launches antibody detection kit for COVID-19 in India यह आपूर्ति आसीएमआर द्वारा मंजूरी प्राप्त चैनलों के जरिये की जाएगी ताकि इसका समान तरीके से वितरण हो सके।
अपोलो हॉस्पिटल्स के मुताबिल वो अपनी वैक्सीन कोल्ड चेन को मजबूत कर रहा है। वहीं अपोलो की सभी सुविधाओं को इसके लिए तैयार किया जा रहा है। ग्रुप ने 10,000 पेशेवरों को इसके लिए प्रशिक्षित किया है। इन्हें समूह की फार्मेसी, क्लिनिक ओर अस्पतालों में तैनात किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेन्स नेटवर्क वास्तव में इंटरनेट आधारित एक डिजिटल प्रणाली है, जो नियमित टीकाकरण, दवा के भंडार, भंडारण तापमान आदि को लेकर निगरानी करेगी।
आत्मनिर्भर भारत योजना देश को भावी महामारियों के लिए तैयार करने हेतु जन स्वास्थ्य और अन्य स्वास्थ्य संबंधी सुधारों में निवेश बढ़ाने संबंधी सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
अमेरिकी नागरिकों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का कार्यक्रम मैराथन होगा। शुरू में टीकों की सीमित आपूर्ति उपलब्ध करवाई जाएगी।
वैक्सीन के लिए रूस के RDIF ने डॉ रेड्डीज लैब के साथ समझौता किया है जिसके तहत RDIF 10 करोड़ वैक्सीन की डोज़ की सप्लाई करेगी। RDIF इसके साथ 4 अन्य भारतीय कंपनियों के साथ बात कर रही है जो भारत में इन वैक्सीन का उत्पादन करेंगी।
कंपनी का अनुमान है कि अगर वैक्सीन दो डोज वाली होती है तो दुनिया भर के लिए 15 अरब डोज़ की जरूरत पड़ेगी। हालांकि फार्मा कंपनियों की सीमित उत्पादन क्षमता को देखते हुए शुरुआती वर्षों में वैक्सीन की कमी बनी रहने की आशंका है।
एस्ट्राजेनेका के कोविड- 19 टीके का अंतिम चरण का अध्ययन अस्थाई तौर पर रोक दिया गया है। टीका के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति के बीमार होने के बाद परीक्षण रोका गया है। कंपनी जांच कर रही है कि टीका लेने वाले एक व्यक्ति का बीमार होना कहीं टीके का साथ में कोई दूसरा प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं है।
सीडीसी ने वितरण केंद्रों की शीघ्र मंजूरी के लिए सरकार से मदद मांगी है।
वैक्सीन के परीक्षण अंतिम स्टेज में पहुंचने के बाद कंपनियों के शेयरों में तेजी दर्ज
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