इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 84.07 पर खुला। कारोबार के दौरान ये 84.06 के उच्चस्तर और 84.12 के निचले स्तर के बीच कारोबार के बाद आखिर में चार पैसे की गिरावट के साथ 84.11 प्रति डॉलर (अस्थायी) के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की वजह विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में लगातार किया जा रहा निवेश भी है। विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) की ओर से पिछले हफ्ते 16,800 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई।
आज घरेलू शेयर बाजार में तेजी और डॉलर के कमजोर होने से रुपये को मिले समर्थन को पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच विदेशी फंड्स की निकासी ने बेअसर कर दिया।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 18 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 670.85 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई लेवल पर रहा था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते में मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां भी 5.16 अरब डॉलर बढ़कर 592.03 अरब डॉलर हो गईं।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ा उछाल आया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जानकारी दी गई जानकारी के मुताबिक, देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 642.492 अरब डॉलर हो गया।
रिजर्व बैंक के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत की reserved deposit भी 1.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.817 अरब डॉलर हो गयी।
यह गिरावट दुनिया भर में डी-डॉलरीकरण के ट्रेंड के जोर पकड़ने के बीच आई है। ग्लोबल सेंट्रेल बैंक रिजर्व में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी में गिरावट जारी है। रेन्मिन्बी दुनिया भर में चौथी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा बन गई।
मुद्रा निगरानी सूची अमेरिका द्वारा तैयार की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य अपने प्रमुख भागिदार देशों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है। भारत पिछले दो साल से इस लिस्ट में था।
World Currency: कोरोना महमारी के बाद पूरी दुनिया में महंगाई आसमान पर है। इसके चलते अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में मंदी का खतरा है। यही हाल इस समय ब्रिटेन (Britain) का भी है। ब्रिटेन की करेंसी लगातार गिर रही है। यूएस डॉलर (USD) के मुकाबले पाउंड (Pound) कमजोर होता जा रहा है।
America inflation: अमेरिका (America) में भी बढ़ती महंगाई भी इन छात्र-छात्राओं के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।
Euro Pound Value: पूरी दुनिया में मंदी की आशंका है। कुछ देशों में उसके असर भी देखे जाने लगे हैं। महंगाई (Inflation) बढ़ने लगी है। रोजगार (Job) में कमी आने लगी है।
कई देश दिवालिया हो गए हैं तो कई फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो रहा है।
पूरी दुनिया में मंदी की आशंका है। कुछ देशों में उसके असर भी देखे जाने लगे हैं। उन देशों की करेंसी कमजोर होनी शुरु हो गई है। यही हाल इस समय ब्रिटेन (Britain) का भी है। ब्रिटेन की करेंसी लगातार गिर रही है। यूएस डॉलर (USD) के मुकाबले पाउंड (Pound) कमजोर होता जा रहा है।
Rupee vs Dollar: भारत से होने वाले निर्यात में अगस्त महीने में मामूली कमी आने के साथ आयात में लगातार वृद्धि होने से व्यापार घाटा बढ़ने के बाद व्यापक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं पैदा होने लगी हैं।
कई लोग यह मानने की गलती कर देते हैं कि डॉलर ही दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है। दुनिया के कई देश हैं जिनकी करेंसी डॉलर से कहीं ज्यादा महंगी है।
विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने तथा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के कारण भारत की पेट्रोलियम कंपनियां भी ईंधनों के दाम लगातार बढ़ा रही हैं।
सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आई क्योंकि संकटग्रस्त एवरग्रांड ग्रुप की चिंताओं की वजह से चीन का युआन कमजोर पड़ा है।
मंगलवार को डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 168.94 रुपये पर कारोबार कर रहा था। तुलनात्मक रूप से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 73.66 रुपये पर कारोबार कर रहा है।
भारी विदेशी धन निवेश के साथ आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने के बाद रुपया एशियाई मुद्राओं में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया।
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