आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग के लगातार प्रयासों का नतीजा उड़द की कीमतों में नरमी के रूप में सामने आया है। सरकारी एजेंसियों के जरिये किसानों के पूर्व-पंजीकरण में उल्लेखनीय तेजी आई है।
रबी सत्र 2023-24 में दाल की बुवाई 155.13 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल 162.66 लाख हेक्टेयर से कम है। आंकड़ों से पता चलता है कि चना, उड़द और मूंग का रकबा कम रहा। हालांकि, चालू रबी सत्र में अब तक मसूर का रकबा 19.51 लाख हेक्टेयर से अधिक है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 18.46 लाख हेक्टेयर था।
चना और मूंग के मामले में, देश आत्मनिर्भर है, लेकिन अरहर और मसूर जैसी अन्य दालों के मामले में, यह अभी भी अपनी कमी को पूरा करने के लिए आयात करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार किसानों को अधिक दाल उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन खेती के सीमित क्षेत्रफल को भी ध्यान में रखना होगा।
राज्य सरकारों को कीमतों की लगातार निगरानी करने और स्टॉक की स्थिति को सत्यापित करने और भंडारण सीमा आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया।
अरहर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य दो जून को 19 प्रतिशत बढ़कर 122.68 प्रति किलोग्राम हो गया, जो एक साल पहले 103.25 रुपये प्रति किलोग्राम था।
प्रतिबंधित श्रेणी के तहत आने वाले उत्पादों के लिये एक आयातक को आयात के लिए अनुमति या लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दक्षिणपूर्वी अफ्रीका के देश मलावी और म्यामां से दालों के आयात के लिए सहमति ज्ञापन समझौते के तहत अधिसूचना जारी की है।
मंत्रालय के अनुसार, इस साल अप्रैल से 16 जून 2021 के दौरान इन तीन दालों की कीमतों में औसत वृद्धि पिछले तीन महीनों (जनवरी-मार्च, 2021) की तुलना में 0.95 प्रतिशत थी।
कृषि लागत और मूल्य आयोग ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए जो सिफारिश की थी उसे सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली है और धान, कपास, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तुअर, उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा और रागी का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है
दिसंबर 2019 में सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए केवल मिलर्स और रिफाइनर को चार लाख टन उड़द दाल का आयात करने की अनुमति दी थी।
उड़द आयात के लिए कुल 1,819 मिलों ने डीजीएफटी के पास आवेदन दिया था, जिनमें से 1,778 मिलों को कोटा जारी किया गया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उड़द का वार्षिक आयात कोटा 2019-20 के लिए 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन कर दिया गया है।
सरकार ने अब दले या धुले हुए उड़द और मूंग के आयात पर भी अंकुश लगाया है। शुक्रवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक उड़द और मूंग का दली हुई अवस्था या किसी दूसरी अवस्था में आयात को लेकर अंकुश रहेगा
राजस्थान मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक है, राधामोहन सिंह के मुताबिक वहां पर किसानों से समर्थन मूल्य पर 1.24 लाख टन अतीरिक्त मूंग खरीदने की मंजूरी दे दी गई है
सितंबर में तुअर, उड़द और मूंग का निर्यात आंशिक तौर पर खोला था लेकिन जब इससे भी दलहन की कीमतों में उठाव नहीं हुआ तो अब निर्यात की सारी पाबंदियां खत्म कर दी
सरकार ने कहा है कि उसने घरेलू कीमतों में सुधार लाने के मकसद से तुअर, उड़द और मूंग दाल के निर्यात पर लगभग एक दशक पुराने प्रतिबंध को हटा दिया है।
सरकार ने तुअर के बाद अब उड़द और मूंग का आयात प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया है। सोमवार को DGFT की तरफ से इसको लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी है
पिछले साल का करीब 30-35 लाख टन दलहन का स्टॉक बचा हुआ है जो इस साल खपत होगा और दाल कीमतें बढ़ने से रुक सकती हैं
कृषि जिंस एक्सचेंज NCDEX ने दलहन विशेषरूप से चना, तुअर और उड़द का वायदा कारोबार फिर शुरू करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से अनुमति मांगी है।
केंद्र सरकार ने देशभर में पोस्ट ऑफिस के जरिये रियायती दालों, विशेषकर तुअर, उड़द और चना, की बिक्री करने का फैसला किया है। देश में 1.54 लाख पोस्ट ऑफिस हैं
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