भारतीय अर्थव्यवस्था ने न सिर्फ इस साल बल्कि पिछले कुछ सालों में अपने समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत की आर्थिक वृद्धि लगातार छह प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। उम्मीद है कि बढ़ोतरी 2024 और 2025 में भी जारी रहेगी।
वैश्विक विकास 2024 में मामूली रूप से 2.7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, क्योंकि कुछ विपरीत परिस्थितियां कम होने लगेंगी। यह हाल के दशकों में सबसे कम विकास दर में से एक है।
महामारी की वजह से गरीबों की संख्या में 6 करोड़ की बढ़त होने की आशंका
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रह सकती है
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.7 प्रतिशत रह सकती है। यह वैश्विक निकाय के पूर्व के अनुमान से कम है।
संयुक्त राष्ट्र का बजट 2018-19 के लिए करीब 5.4 अरब डॉलर था। इसमें अमेरिका का योगदान 22 प्रतिशत रहा।
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी फायदा हो सकता है।
संयुक्तराष्ट्र की वैश्विक आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएं (डब्ल्यूईएसपी) 2019 रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2020-21 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहेगी
भारत अपने लोगों के जीवनयापन का स्तर सुधार कर तथा निवेश को प्रोत्साहित कर अगले दो दशक तक आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ आर्थिक अधिकारी ने यह बात कही।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कोष में 1 लाख डॉलर दिया है। यह कोष विकासशील देशों को सक्रिय रूप से कर मुद्दों पर विचार विमर्श में भागीदारी में मदद के लिए है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 7.1 प्रतिशत तथा अगले वर्ष यानी 2018 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
UN द्वारा 188 देशों के लिए तैयार की गई मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) सूची में भारत 131वें स्थान पर है। पाकिस्तान, भूटान और नेपाल की श्रेणी में शामिल है।
भविष्य में ग्लोबल स्तर पर खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 49 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भारत ने कहा कि विकसित देशों को रिन्युएबल एनर्जी को प्रोत्साहित करना चाहिए न कि इसमें अड़चन डालना चाहिए। जावड़ेकर ने यह बात संयुक्त राष्ट्र में कही।
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