भविष्य में ग्लोबल स्तर पर खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 49 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भारत के शहरों में 2050 तक और 30 करोड़ आबादी जुड़ने का अनुमान है और इसके लिए देश में जलवायु अनुकूल शहरों के विकास की आवश्यकता होगी।
एशिया-प्रशांत में कामकाजी लोगों में ग्रोथ से अग्रणी बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक एक अरब लोग रोजगार बाजार में प्रवेश के लिए तैयार होंगे।
भारत ने कहा कि विकसित देशों को रिन्युएबल एनर्जी को प्रोत्साहित करना चाहिए न कि इसमें अड़चन डालना चाहिए। जावड़ेकर ने यह बात संयुक्त राष्ट्र में कही।
संयुक्त राष्ट्र (UN) सतत विकास लक्ष्य (यूएन-एसडीजी) में साल 2030 तक दुनिया से गरीबी खत्म करने का संकल्प लिया है।
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