सरकार के इस कदम के बाद माना जा रहा है कि दालों की जमाखोरी में कमी आएगी और बाजार में स्टाॅक बढ़ेंगे, जिससे कीमतें कम करने में मदद मिलेगी।
सरकार ने यह कदम अरहर दाल की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए उठाया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने तीन मार्च की एक अधिसूचना में कहा है कि तुअर (साबुत) दाल पर अब कोई सीमा शुल्क नहीं लगेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दक्षिणपूर्वी अफ्रीका के देश मलावी और म्यामां से दालों के आयात के लिए सहमति ज्ञापन समझौते के तहत अधिसूचना जारी की है।
मंत्रालय के अनुसार, इस साल अप्रैल से 16 जून 2021 के दौरान इन तीन दालों की कीमतों में औसत वृद्धि पिछले तीन महीनों (जनवरी-मार्च, 2021) की तुलना में 0.95 प्रतिशत थी।
पिछले एक साल के दौरान दालों की कीमतों में अच्छी गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान दालें करीब 30 फीसदी सस्ती हो गई हैं।
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान को उम्मीद है कि इस वर्ष देश में दालों का उत्पादन करीब 221 लाख टन होगा। इससे सस्ते दामों पर दालें बाजार में उपलब्ध होंगी।
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