श्रमिक संगठनों ने सरकार के द्वारा हाल में ही लिए गए श्रम और कृषि सुधारों से जुड़े कदमों के विरोध में हड़ताल बुलाई थी। जिसका देश में कुछ जगहों पर जनजीवन प्रभावित हुआ, वहीं कई जगह इसका आशिंक असर देखने को मिला।
ग्रैच्युटी के लिए कर्मचारी द्वारा की गई सेवा के प्रत्येक साल के लिए 15 दिन के वेतन के बजाये 30 दिन के वेतन के आधार पर गणना करने की मांग की।
देशभर में 15 करोड़ कर्मचारी अलग-अलग मजदूर संगठनों के बैनर तले शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल पर हैं। हड़ताल से बैंकिंग जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
ट्रेड यूनियनें को दो सितंबर की हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में 42 फीसदी बढ़ोतरी और दो साल के बोनस की घोषणा की है।
कर्मचारी संगठनों के दो सितंबर को आहूत देशव्यापी हड़ताल को वापस लेने से इनकार करने के बाद सरकार के वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों ने शनिवार को विस्तृत बातचीत की।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में मंत्रीस्तरीय समिति केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से मुलाकात कर उनकी 12 सूत्री मांग पर चर्चा कर सकती है।
श्रमिक यूनियनों की विरोध प्रदर्शन की चेतावनी से अप्रभावित वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ईपीएफ ब्याज दर विवाद में सरकार पीछे नहीं हटेगी।
लेटेस्ट न्यूज़