अगर आपने अपने परिवार में बच्चों के साथ-साथ अपने लाइफ पार्टनर के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लिया है और उसका प्रिमियम भर रहें तो आप आसानी से सेक्शन 80D के तहत 25,000 रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं।
दरअसल पैन कार्ड और आधार कार्ड के लिंक होने के बाद अगर आपने भी कोई बड़ी ट्रांजेक्शन की है तो उसकी जानकारी आयकर विभाग के पास पहुंच जाती है।
दक्षिणी राज्यों में वाहनों पर सबसे ज्यादा कर कर्नाटक में लगता है लेकिन नया कानून बनने के बाद आंध्र प्रदेश उसके बाद दूसरे स्थान पर आ गया है।
इक्विटी फंड्स को यदि आप 12 महीने तक या इससे अधिक अवधि के लिए होल्ड रखते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म इनवमेंट माना जाता है।
जुलाई में कुल 130 देशों ने वैश्विक कर मानदंडों में बदलाव के लिए सहमति जतायी थी। जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की 13 अक्टूबर को वाशिंगटन में बैठक होगी।
रिजर्व बैंक ने संकेत दिये हैं कि लिक्विडिटी के ऊपरी स्तरों पर रहने की वजह से जमा पर ब्याज दरों के फिलहाल बढ़ने की संभावना नहीं है।
मुख्य रूप से कंपनियों और देश के सबसे अमीर परिवारों के लिए उच्च करों के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा अमीरों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य है। हालांकि, कई सांसदों ने अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित असर को लेकर संदेह जताया है।
पीठ ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत या कॉरपोरेट कर का भुगतान करने की जरूरत होती है। यह करदाता के लिए योजना बनाने की बात है।
चपाती, रोटियां (फुल्का) और पराठे एक दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं इनको बनाने या पकाने की विधि के अलावा उपयोग और उपभोग का तरीका भी एक समान है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है। इन उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के तहत हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए फॉर्म-1 में सामान्यीकरण शुल्क ब्योरा दाखिल करने की समयसीमा 30 जून की मूल नियत तारीख के मुकाबले 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गयी है।
मई 2014 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 10.39 रुपये प्रति लीटर थी, जो अब बढ1कर 32.90 रुपये प्रति लीटर है। इसी प्रकार मई 2014 में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.57 रुपये लीटर थी, जो वर्तमान में 31.80 रुपये प्रति लीटर है।
आयकर अधिनियम की धारा 234ए के तहत ब्याज और धारा 234 एफ के तहत विलंब शुल्क की गलत गणना से जुड़ी खामी को दूर करने के लिए आईटीआर सॉफ्टवेयर को एक अगस्त को ठीक कर दिया गया।
उपभोक्ताओं या आपूर्तिकर्ताओं को दिए गए गिफ्ट वाउचर, कैश-बैक वाउचर को वस्तु अथवा सामान माना जाएगा और इनपर 18 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा।
इस विधेयक का सीधा असर ब्रिटेन की कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर होगा। भारत सरकार दोनों कंपनियों द्वारा किए गए मध्यस्थता मुकदमों में हार चुकी है।
जीएसटी के तहत फिलहाल चार दरों वाली संरचना है। इसके तहत आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी से छूट है जबकि कुछ सामानों पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। वहीं उच्चतम दर 28 प्रतिशत है।
एचएसबीसी मामले में 8,465 करोड़ रुपये की अघोषित आय को कर के दायरे में लाया गया है और इस पर 1294 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
रिसर्च फाउंडेशन को दी गई नई कर मान्यता के साथ, संस्था अब दान में वृद्धि देखने की उम्मीद कर सकती है।
30-31 अक्टूबर को रोम में होने वाली जी-20 के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की बैठक में इस पर अंतिम फैसला किया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन 2023 की शुरुआत तक हो सकता है।
वित्त वर्ष 2021-22 में 15 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1,85,871 करोड़ रुपये रहा है जो कि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 96762 करोड़ रुपये था।
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