वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-सितंबर छमाही में केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के लिए नेट टैक्स रेवेन्यू 12.65 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 49 प्रतिशत था। सितंबर, 2023 के अंत में नेट टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन 49.8 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व लगभग 56.5 प्रतिशत बढ़ा है।
समिति ने जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिए छूट प्राप्त वस्तुओं की सूची कम करने का भी सुझाव दिया है। मांस, मछली, अंडा, शहद, दूध उत्पाद, सब्जियां, फल और सूखे मेवे सहित कुछ उत्पादों को जीएसटी से छूट है।
एसबीआई ईकोरैप की रिपोर्ट के अनुसार, 31 जुलाई 2018 तक 3.43 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए। वित्त वर्ष 2018 की समान अवधि में 2.24 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे। अब आप पूछेंगे कि भला सरकार को इससे क्या फायदा हुआ? आइए आपको बताते हैं।
पेट्रोलियम पदार्थों को GST के दायरे में लाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। जम्मू और कश्मीर ने इस दिशा में पहला कदम उठाया है।
कर राजस्व अगले दो सालों में 30 लाख करोड़ के आंकड़े को छू सकता है। साल 2014 में जब एनडीए की सरकार बनी थी तो कुल कर राजस्व 13 लाख करोड़ रुपए था।
कैग की योजना नोटबंदी के प्रभाव का ऑडिट करने और इसके सरकार के राजस्व पर पड़े असर का आकलन करने की है। कैग शशिकान्त शर्मा ने यह बात कही।
देश के भीतर रखे कालेधन को बाहर निकालने के लिए शुरू की गई आय घोषणा योजना (IDS) के तहत सरकार को 30,000 करोड़ रुपए का टैक्स मिलने की उम्मीद है।
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