अखिल भारतीय स्तर पर, आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, मोटापे की घटना ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में काफी अधिक है।
कंपनियों पर घरेलू भरोसे के मामले में भारत का नाम सूची में 89 प्रतिशत के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद 82 प्रतिशत के साथ चीन का स्थान है।
रोजगार संबंधी वेबसाइट साइकी के ‘टेक टैलेंट आउटलुक’ रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के कारण पहले तो कर्मचारियों पर दूर रहकर दफ्तर का काम करने की व्यवस्था थोपी गई थी लेकिन अब दो साल बाद 'वर्क फ्रॉम होम' अब 'नया चलन' बन गया है।
सर्वे में शामिल 79% भारतीयों ने कहा कि कोरोना के बाद उनकी आय घटी है और 1/3 अभी भी कम आय का सामना कर रहे हैं।
ये आंकड़े कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद राज्यों द्वारा लॉकडाउन प्रतिबंधों को हटाने के चलते आर्थिक गतिविधियों में हुए सुधार को दर्शाते हैं।
लोकलसर्किल्स ने सर्वे में प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर बताया कि मुंबई और कोलकाता में अधिकांश परिवार त्योहारी खरीदारी के लिए अपने प्राइमरी चैनल के रूप में स्टोर या मार्केट जाना पसंद कर रहे हैं
सबसे ऊंचे डेट टू एसेट रेश्यो वाले 5 राज्यो में से 4 दक्षिण भारत में हैं। कर्ज लेने वाले शहरी परिवारों की कैटेगरी में केरल और ग्रामीण इलाकों में तेलंगाना सबसे आगे हैं।
सर्वे में शामिल 39 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो अपनी संवेदनशील जानकारियां पेपर पर लिखकर रखते हैं। वहीं 29 प्रतिशत अपने डेबिट कार्ड के पिन को परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करते हैं।
इन ग्राहकों से ग्राहक सेवाओं और शिकायतों के समाधान को लेकर उनके अनुभवों के बारे में पूछा जाएगा।
श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार के मुताबिक ये सर्वे काफी उपयोगी होंगे और सरकार को प्रवासी श्रमिकों तथा संगठित और असंगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति के बारे में आंकड़े उपलब्ध कराने की दृष्टि से काफी अहम साबित होंगे।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2021 को है और इसे ध्यान में रखते हुए भारत के अग्रणी इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो (Groww) ने हाल ही में भारतीय महिला निवेशकों की निवेश की आदतों को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया।
भारत में कंपनियां कोविड-19 संकट से उत्पन्न आर्थिक परेशानियों का सामना कर रही हैं बावजूद इसके बिजनेस रिकवरी को लेकर सकारात्मकता बढ़ रही है और इसका असर सैलरी इन्क्रीमेंट बजट पर दिखना अभी बाकी है।
सर्वे मार्च 2020 से शुरू किया जाएगा और इनके नतीजे अक्टूबर 2021 तक उपलब्ध होंगे। श्रम मंत्री ने कहा कि इन श्रमिकों के बारे में साक्ष्य-आधारित नीति बनाने के लिए संगठित और असंगठित क्षेत्र में रोजगार के प्रामाणिक आंकड़े बेहद जरूरी हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक 87 प्रतिशत भारतीय कंपनियों को 2022 के अंत तक कोविड-19 से पूर्व के लाभ स्तर को प्राप्त करने का अनुमान है। जबकि इसका वैश्विक औसत 73 प्रतिशत है। लगभग 45 प्रतिशत भारतीय इकाइयां कारोबार वृद्धि को लेकर आशान्वित हैं। जबकि वैश्विक औसत 29 प्रतिशत ही है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 29 प्रतिशत अनुबंध पर नौकरियों के ऑफर बेंगलुरू और दावणगेरे से दिए गए। इस तरह कर्नाटक इस श्रेणी में शीर्ष पर रहा। वहीं हैदराबाद और वारंगल ने अनुबंध पर नौकरी के कुल ऑफर्स में 24 प्रतिशत ऑफर दिए और इस तरह तेलंगाना इस सूची में दूसरे स्थान पर है।
कंपनियों ने इस साल कर्मचारियों के वेतन में औसत 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की। यह पिछले एक दशक में सबसे निचला स्तर है। महामारी की वजह से कई कंपनियों को वेतन में कटौती भी करनी पड़ी जिसे अब वो वापस ले रही हैं। लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कारोबार पर बुरा असर पड़ा, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट भी दर्ज हुई। ऐसी स्थिति में कंपनियों ने इस साल लागत बचाने के कई उपाय किए जिसका असर वेतन बढोतरी पर पड़ा।
आयकर सर्वे के लिए अधिकारी करदाताओं के ठिकानों पर जा कर उनके लेखा खातों, इलेक्ट्रानिक साधनों में रखी गई सूचनाओं को खंगालते हैं। सीबीडीटी के अनुसार यह कदम तभी उठाया जाना चाहिये जब ब्योरा हासिल करने, आनलाइन रिकवरी जैसे अन्य सभी तरीके अपनाये जा चुके हों और उनसे कुछ हासिल नहीं हो सका।
76 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागी यह महसूस करते हैं कि महामारी ने उन्हें अपने खर्चों के बारे में सोचने को मजबूर किया है। वहीं वैश्विक स्तर पर ऐसा सोचने वाले लोगों का प्रतिशत 62 के स्तर पर है।
लिंक्डइन द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि सर्वे में यह सामने आया है कि परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स और मीडिया तथा दूरसंचार क्षेत्र के पेशेवर अपने कार्यस्थल पर लौटने को लेकर ज्यादा सहज नहीं दिखते हैं।
लेटेस्ट न्यूज़