एआईएसटीए के मुताबिक, 3.16 करोड़ टन के अनुमानित चीनी उत्पादन और 57 लाख टन के शुरुआती भंडार के साथ देश में चीनी की उपलब्धता 3.73 करोड़ टन होने की संभावना है।
गन्ने की उपज कम होने की आशंका में सरकार ने बीते हफ्ते ही चीनी मिलों को गन्ने के रस और शीरे से एथनॉल बनाने पर रोक लगा दी थी।
किसानों ने कहा कि गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी को बहुत कम बताया है और राज्य सरकार के कदम को विश्वासघात करार दिया। किसानों ने इसे 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की थी।
खाद्य मंत्रालय ने पाया कि चीनी व्यापार और भंडारण से जुड़े कई थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और बड़े खुदरा विक्रेता ने अब भी चीनी स्टॉक प्रबंधन प्रणाली पर खुद को रजिस्टर ही नहीं किया है।
बीते मंगलवार को चीनी की कीमतें (sugar price in domestic market) बढ़कर 37,760 रुपये प्रति मीट्रिक टन हो गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद सबसे अधिक है।
उल्लेखनीय है कि गन्ना साल भर की फसल है। इसके तैयार होने में 3 से 7 बार पानी की जरूरत पड़ती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रति किलोग्राम गन्ना उत्पादन में 1500 से 3000 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है।
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